जर्नल नेचर में प्रकाशित इस शोध में शोधकर्ताओं ने शिशुओं के मल के नमूनों पर अध्ययन किया आैर नार्मल आैर सीजेरियन डिलीवरी के बच्चाें में पेट संबंधी अच्छे बैक्टीरिया जाेकि इम्यूनिटी सिस्टम काे बेहतर बनाने में सहायक हाेते हैं, के बीच बड़ा अंतर पाया। नार्मल डिलीवरी से जन्मे बच्चाें काे उनकी मां से अच्छे गट बैक्टिरिया मिले थे, लेकिन जाे बच्चे सीजेरियन डिलीवरी से हुए उनमें ये बैक्टिरिया बहुत कम थे।
वैज्ञानिकाें ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के अंतर से भविष्य में बच्चों की सेहत पर क्या असर पड़ेगा।आैर ना ही शाेध का निष्कर्ष महिलाआें काे सीजेरियन डिलीवरी कराने राेकता है।लेकिन “बेबी बायोम” परियोजना – दुनिया का सबसे बड़ा ऐसा अध्ययन है, जिसने मानव प्रतिरक्षा के विकास के संबंध में एक नर्इ खाेज का दिशा दी है।
पिछले शोधों में यह पता चला है कि कम आंत सूक्ष्मजीव के कारण स्थमा, एलर्जी और मधुमेह जैसे ऑटोइम्यून रोगों की सम्भावना अधिक रहती है।लेकिन वैज्ञानिक अभी तक यह पता लगाने में सक्षम नहीं हैं कि प्रारंभिक आंत माइक्रोबायोम – या “बेबी बायोम” – भविष्य की प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य के लिए कितना महत्वपूर्ण है, या बच्चे का माइक्रोबायोम कैसे विकसित होता है, या जन्म के विभिन्न तरीकों से बेबी बायोम पर क्या असर हाेता है।