ज्योतिषाचार्य पं. जगदानंद झा के अनुसार गुरु पुष्य नक्षत्र, वैदिक ज्योतिष में एक शुभ नक्षत्र माना जाता है। यह वृद्धि, धन और आध्यात्मिक विकास का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन चांदी का एक चौकर लाकर उसका पूजन करने से आर्थिक संकट दूर होता है और परिवार के सदस्यों की उन्नति होती है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गईं चीजें अक्षय होती हैं।
गुरु पुष्य नक्षत्र का महत्व ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल मिश्रा के अनुसार पुष्य नक्षत्र के स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं। कोई भी शुभ कार्य करने के लिए यह नक्षत्र बहुत शुभ माना जाता है। जब गुरुवार को ही यह नक्षत्र उदित होता है तो गुरु पुष्य योग बनता है। देवगुरु बृहस्पति को पद, प्रतिष्ठा, सफलता, धन और शुभता का ग्रह माना जाता है। इस नक्षत्र में की गई खरीदारी अक्षय रहती है। अगर आप शुभ नक्षत्र में निवेश करते हैं तो उसका भारी मुनाफा मिलता है।
गुरु पुष्य नक्षत्र की पूजन विधि Guru Pushya Yog 2024: गुरु पुष्य नक्षत्र में शाम के समय लक्ष्मी पूजन किया जाता है। पूजन में चांदी के सिक्के और रुपयों के साथ कौड़ी रखकर उनका केसर और हल्दी के साथ पूजन करना चाहिए। पूजा के बाद इन्हें तिजोरी में रख दें। मान्यता है ऐसा करने पर पर्स हमेशा पैसों से भरा रहता है। अगर गुरु पुष्य योग के दिन खरीदारी करना संभव नहीं हो तो श्री सूक्त का पाठ करें। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
गुरु पुष्य योग पर करें ये उपाय ●इस नक्षत्र के दौरान पीला नीलम धारण करना सर्वोत्तम माना गया है।
●इस दिन सत्यनारायण पूजा और हवन अवश्य करना चाहिए।
● इस विशेष दिन पर श्री यंत्र पूजा और लक्ष्मी पूजा भी किया जा सकता हैं।
●लोगों को मंदिर जाकर केले के पेड़ के नीचे जल, चना दाल और गुड़ चढ़ाने से समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सुबह 6.54 से शाम 4.43 का समय शुभ 22 फरवरी 2024 को गुरु पुष्य नक्षत्र रहेगा. गुरु पुष्य नक्षत्र की शुरुआत 22 फरवरी को सुबह 06 बजकर 54 मिनट से होगी और समाप्ति शाम 04 बजकर 43 मिनट पर होगी
इस वर्ष 5 पुष्य योग नक्षत्र का समय – 25 जनवरी को सुबह 08.16 बजे से 26 जनवरी सुबह 07.03 बजे तक
– 22 फरवरी सुबह 06.54 बजे से शाम 04.43 बजे तक
– 26 सितम्बर रात 11.34 बजे से 27 सितंबर सुबह 06.11 बजे तक
– 24 अक्टूबर सुबह 06. 21 बजे से 25 अक्टूबर सुबह 06. 22 बजे तक
– 21 नवंबर सुबह 06.38 बजे से दोपहर 03.35 बजे तक