यह भी पढ़ें: झकझोर देने वाली वारदात: चंद पैसों के लालच में दो नाबालिगों का किया कत्ल फिर किया ये काम
अधिवक्ता निमेश शुक्ला ने हाईकोर्ट में वकील देवर्षि ठाकुर के माध्यम से एक हस्तक्षेप आवेदन देकर इस ओर ध्यान आकर्षित किया। शवों के दफनाने के दौरान जेसीबी से उठाकर डालने या दाह संस्कार के दौरान डीजल या मिट्टीतेल तक डालकर मुखाग्नि देने या शवों को असम्मानजनक तरीके से ले जाने का उन्होंने उल्लेख किया।यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में यहां है बेशकीमती हीरे की खदान, तस्करी के लिए देशभर के तस्करों में लगी होड़
यह है अनुच्छेद 21
अनुच्छेद 21 के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य की सावधानी का अधिकार वैसा ही है, जैसे जीवन का अधिकार होता है। यह अनुच्छेद भारत के प्रत्येक नागरिक के जीवन जीने और उसकी निजी स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है। यदि कोई अन्य व्यक्ति या संस्था किसी व्यक्ति के इस अधिकार का उल्लंघन करने का प्रयास करती है, तो पीड़ित व्यक्ति को सीधे उच्चतम न्यायलय तक जाने का अधिकार होता है। अन्य शब्दों में किसी भी प्रकार का क्रूर, अमाननीय, उत्पीडऩ या अपमानजनक व्यवहार चाहे वह किसी भी प्रकार से हो, तो यह इस अनुच्छेद 21 का अतिक्रमण है। बता दें कि जापान की व्यवस्था से यह अनुच्छेद लिया गया है।
ये हैं जीवन के अधिकार
– चिकित्सा का अधिकार
– शिक्षा का अधिकार
-पर्यावरण संरक्षण का अधिकार
– त्वरित विचारण का अधिकार
– कामकाजी महिलाओं का यौन शोषण से संरक्षण का अधिकार
– निशुल्क विधिक सहायता का अधिकार
– मृतकों का शिष्टता एवं शालीनता से दाह संस्कार का अधिकार
– भिखारियों के पुनर्वास का अधिकार
– धूम्रपान से संरक्षण का अधिकार
– विद्यार्थियों का रैगिंग से संरक्षण का अधिकार
– सौंदर्य प्रतियोगिताओं में नारी गरिमा को बनाए रखने का अधिकार
– बिजली एवं पानी का अधिकार
– हथकड़ी, बेड़ियों एवं एकांतवास से संरक्षण का अधिकार
– प्रदूषण रहित जल एवं हवा का उपयोग करने का अधिकार