कोरोड़ों की लागत से बनाई गई जोनल मुख्यालय की सुरक्षा के लिए बनाई गई बॉउंड्रीवॉल की मजबूती को लेकर अब सवालिया निशान उठ रहे हैं। रेलवे कर्मचारियों के बीच बिना सरिए की इस बाउंड्रीवॉल में हुए भ्रष्टाचार की चर्चा जोरों पर है। जोनल बिल्डिंग की सुरक्षा को लेकर बनाई गई दीवार कितनी मजबूत है, यह इस वर्ष हुई पहली बारिश ने साबित कर दी। दीवार गिरी तो पता चला कि दीवार के निर्माण में ठेका कम्पनी ने सरिए का इस्तेमाल किया ही नहीं। मौके पर इस तरह कारीगरी हुई कि देखने वाले को जरा भी यह एहसास नहीं होगा कि दीवार बनाने में किसी तरह का भ्रष्टाचार हुआ होगा, लेकिन लगभग ४० सौ मीटर से अधिक लम्बी दीवार में सरिया लगा है या नहीं, यह तो जांच का विषय है। अगर नहीं लगा तो क्या रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी निर्माण के दौरान बाउंड्रीवॉल का निरीक्षण करने पहुंचे थे।
बाउंड्रीवॉल बनाने में मजबूती का रखा जाता है ख्याल
जब कोई मकान या बाउंड्रीवॉल बनाई जाती है तो उसकी मजबूती के लिए मजबूत बेस व दीवार को मजबूती प्रदान करने पिलर का निर्माण किया जाता है। इससे दीवार की उम्र लम्बी हो जाती है। लेकिन जोनल बिल्डिंग की दीवार बनाने के दौरान ठेकेदार ने सरिए का इस्तेमाल करना मुनासिब नहीं समझा और जलभराव के दौरान पानी निकासी को लेकर भी कोई व्यवस्था नहीं बनाई। इसके चलते दीवार पानी का दबाव नहीं सह सकी और गिर गई।
मसाले में सीमेंट कम रेत ज्यादा
रेलवे जोन बिल्डिंग की जो बाउंड्रीवॉल गिरी है उसे गौर से देखने पर पता चलता है कि सीमेंट कम व रेत का इस्तेमाल ज्यादा किया गया है। जोड़ भी ठीक से भरा नहीं गया था। ठेकेदार ने १४ पिलर ईंट की दीवार को ही बना दिया।
रविवार को हुई ज्यादा बारिश की वजह से जोनल बिल्डिंग की बाउंड्रीवॉल को नुकसान हुआ है। मरम्मत कार्य किया जा रहा है।
सांकेत रंजन, सीपीआरओ, बिलासपुर जोन