भूले मंत्री : हर बार चुनाव के ठीक पहले अरपा प्रोजेक्ट को लेकर सक्रियता दिखाने वाले नगरीय प्रशासन मंत्री और निगम प्रशासन इस बार इसे लेकर मौन हैं। वर्ष 2007-08 से अरपा प्रोजेक्ट का प्रस्ताव निगम के हर बजट पुस्तिका में शामिल किया जाता रहा है, लेकिन पिछले साल -दो साल से इस प्रोजेक्ट को किनारे कर सभी ने मौन साध रखा है। इससे लगता है कि मिशन 2018 के चुनावी घोषणा पत्र से अरपा प्रोजेक्ट गायब रहेगा।
बदहाली के लिए शासन और प्रशासन जिम्मेदार : भाजपा शासन काल को 14 साल हो गए, हम जो कर सकते थे किया। उसके बाद आज तक एक ईट नहीं लगी। अरपा नदी के तट पर कचरा और मलबा डंप किया जा रहा है। इसकी बदहाली के लिए शासन और प्रशासन जिम्मेदार है। केवल योजना बनाने से कुछ नहीं होगा, अच्छी भावना से क्रियान्वयन भी कराना होगा।
-सैय्यद जफर अली, अध्यक्ष, अरपा विकास समिति
आमजन को भी जुडऩा होगा : हम राजनीतिक दल के नेता हैं जो कर सकते हैं किया और आगे भी करेंगे। लेकिन जीवनदायनी अंत: सलिला अरपा मैया का मामला है आमजन को भी जुडऩा होगा। कचरा मलबा डालकर पूरी नदी को बर्बाद कर दिया गया। इसके लिए मंत्री और निगम प्रशासन जिम्मेदार हैं, जनजागरण कर लोगों को जोड़ा जाएगा।
-शिवा मिश्रा, पूर्व सचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी
सफाई और कचरे के संपूर्ण निदान कार्य किया जा रहा है : निगम प्रशासन द्वारा सफाई और कचरे के संपूर्ण निदान का कार्य धीरे- धीरे प्लान बनाकर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन करने वाली कंपनी को सौंंपा जा रहा है। पूरी तरह योजना लागू होने के बाद नदी तट पर कचरा-मलबा डलवाना बंद कर दिया जाएगा। अभी प्रारंभिक तौर पर 20 वार्डों में घरों-घर कचरा संकलन कार्य प्रारंभ कराया गया है।
-सौमिल रंजन चौबे, आयुक्त, नगर निगम