प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत जिला उद्योग केंद्र ने दामाखेड़ा सिमगा जिला दुर्ग निवासी तेजेंदर देव चावरे का ऋण स्वीकृत किया था। जनवरी- फरवरी में तेजेंदर देव ने देना बैंक दामाखेड़ा के शाखा प्रबंधक विनोदनंद झा से मुलाकात की। कथित रूप से शाखा प्रबंधक ने उससे स्वीकृत राशि 95 हजार रुपए देने 7 हजार रुपए रिश्वत की मांग की। उसने देना बैंक दामाखेड़ा जिला दुर्ग के शाखा प्रबंधक द्वारा रिश्वत मांगने की सीबीआई से शिकायत की। सीबीआई ने जाल बिछाया और शिकायतकर्ता को कैमिकल लगे 7000 रुपए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत स्वीकृत लोन की फाइल जब्त की।
तीन साल की सजा और अर्थदंड
सीबीआई जबलपुर के विशेष कोर्ट ने 15 दिसम्बर 1998 को शाखा प्रबंधक विनोदनंद झा को धारा 7 एवं धारा 13(1) (डी) के धारा 13(2) के तहत तीन वर्ष कैद और अर्थदंड की सज़ा सुनाई। प्रबंधक ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। राज्य विभाजन के बाद अपील को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भेजा गया। 24 वर्ष तक मामला यहां लंबित रहा। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने पुराने मामलों को निराकृत करने सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद यह सुनवाई फिर शुरू हुई। 26 वर्ष पुराने इस मामले में सीबीआई की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। कोर्ट ने सुनवाई में गवाह व शिकायतकर्ता के विश्वसनीय नहीं होने पर सीबीआई अदालत के आदेश को खारिज कर शाखा प्रबंधक को दोषमुक्त किया है।
Bilaspur News: बैंक के प्रोसेसिंग शुल्क को रिश्वत बता दिया
सुनवाई के दौरान यह बात आई कि शाखा प्रबंधक ने योजना के तहत 95 हजार रुपए लोन स्वीकृत होने की जानकारी दी। इसके लिए बैक में खाता खोलने, दस्तावेजीकरण, मार्जिन मनी और स्टाम्प शुल्क के लिए 7000 रुपये लगने की बात कही थी। शिकायतकर्ता ने उक्त राशि मांगे जाने की शिकायत कर दी। सुनवाई के दौरान देना बैंक मुख्यालय ने भी लोन के लिए प्रोसेसिंग शुल्क 6900 रुपये नियमानुसार लगने की पुष्टि की।