बिलासपुर. आज के इस आधुनिक युग में जहां ओर पैसा ही सब कुछ हो गया है। लोग बेटे की शादी करने के लिए मुंह मांगा दहेज की मांग करते हैं। अगर लड़का किसी अच्छे पोस्ट में हो तो उसकी कीमत दुगुनी हो जाती है। वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग है जो बिना दहेज के शादी करके समाज के सामने मिसाल कायम करते हैं। आज कुछ ऐसा ही देखने को मिला सरकण्डा स्थित सत्संग भवन में जहां दो सगे भाईयों ने बिना दहेज व जाति बंधन के शादी के बंधन में बंधे।
सरकण्डा स्थित संत श्री रामपाल के अनुयायियों द्वारा बुधवार को दोपहर 2 बजे सरकंडा स्थित मुस्कान भवन में सत्संग व रमैणी कार्यक्रम किया गया। जहां दो सगे भाईयों ने बिना दहेज के शादी के बंधन में बंधे। जिसमें एक भाई जम्मू-कश्मीर आर्मी के पोस्ट पर तैनात है तो वहीं दूसरा भाई पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है। शादी के इस बंधन में बंधने के लिए इन भाईयों ने जाति-धर्म व दहेज को दरकिनार करते हुए एक मिसाल पेश की है। शादी पूरे हिन्दू रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुई।
इस अवसर पर दोनों परिवार के परिजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए दीनानाथ दास ने बताया कि ऐसा आयोजन पहली बार किया जा रहा है। जहां पर दो विभिन्न जाति के बीच विवाह हुआ है। उन्होंने बताया कि इस शादी का मुख्य उद्देश्य सभी जाति धर्म के भेद-भाव को समाप्त कर प्रेम व भाईचारा का विकास कर नशा मुक्ति समाज का निर्माण करना है। साथ ही सामाजिक रीति-रिवाज, आडम्बर एवं दिखावे को समाप्त करना है।
संत रामपाल के सुनते रहे सत्संग : मुस्कान भवन में संत श्री रामपाल के अनुयायियों ने शादी की इस शुभ घड़ी में अपने आदर्श रामपाल के सत्संग का आनंद उठा रहे थे। शादी की सारी रस्में टीवी में चल रहे सत्संग के माध्यम से संपन्न हुआ। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे। जिसमें वर पक्ष के लोग बाराती व वधु पक्ष के लोग स्वागत में जुटे हुए थे।
सुनयना व हिमानी की हुई शादी : विनोद दास पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है इनकी शादी भगतमति सुनयना व जम्मू-कश्मीर में तैनात पवन दास की शादी भगतमति हिमानी के साथ संपन्न हुई। दोनों कन्याएं छत्तीसगढ़ के बलरामपुर व बस्तर के ग्राम खैरा के निवासी है। इस अवसर पर बड़े-बुजुर्गों ने नवदंपत्ति को खुशहाल जीवन जीने का आशीर्वाद दिया।
नई पीढ़ी के बदलते विचार : आज की युवा पीढ़ी नई विचारधारा के साथ जीवनयापन करना चाहती है। जिसके लिए वे दहेज प्रथा, जाति बंधन को तोड़कर समाज के सामने नई परंपरा की शुरुआत कर रही है। आज के समय में लड़की के माता-पिता के सामने दहेज देना सबसे बड़ी समस्या बन गई है। युवाओं की ऐसी पहल से एक अच्छे युग की शुरुआत हो रही है।