अरपा के उद्गम स्थल को संवारने के लिए उक्त स्थल पर 5 एकड़ जमीन अधिग्रहण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके साथ ही 5 एकड़ जमीन वन विभाग से ली जाएगी। यह प्रक्रिया राज्य के वित्त विभाग में अटकी है। इसी तरह शहर के 70 नालों का गंदा पानी नदी में गिरता है। पानी साफ करने की योजना भी निगम द्वारा तैयार की गई है। कोर्ट ने राज्य शासन और नगर निगम
बिलासपुर को शपथपत्र देने कहा है कि उक्त दोनों कार्यों के लिए प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी। अगली सुनवाई 23 सितंबर को रखी गई है।
उल्लेखनीय है कि अरपा नदी की बदहाली पर अधिवक्ता अरविंद कुमार शुक्ला और पेंड्रा के रहने वाले रामनिवास तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें अरपा नदी में बाहरमास पानी के बहाव और नदी की हालत सुधारने की मांग है। उल्लेखनीय है कि उद्गम स्थल पर अवैध कब्जे के साथ नदी में प्रतिदिन 130 एमएलडी से अधिक जल मल की निकासी हो रही है।
हाईकोर्ट ने अरपा नदी में प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दो साल पहले शासन को अरपा रिवाइवल प्लान बनाकर कार्य करने के आदेश दिए थे। अरपा में प्रदूषण रोकने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने पर भी काम चल रहा है, परंतु यह अभी अधूरा है।
नालों के पानी को साफ कर नदी में छोड़ने की योजना शुरू ही नहीं
कोर्ट की जानकारी में यह बात भी आई कि शहर के 70 नालों का गंदा पानी नदी में गिरता है। निगम की ओर से बताया गया है कि निगम एरिया यानी कोनी से दोमुहानी तक अरपा में पहुंचने वाले सभी नालों के पानी की सफाई के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसमें मुयत चिल्हाटी और दोमुहानी स्थित एसटीपी की क्षमता क्रमश: 17 एमएलडी से बढ़ाकर 40 और 54 से बढ़ाकर 90 एमएलडी करने का टारगेट है। नालों के पानी को नदी में पहुंचने के पहले ही रोक कर एनजीटी के मापदंड के मुताबिक स्वच्छ कर नदी में छोड़ा जाएगा। नालों के पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में स्वच्छ करने के बाद एनटीपीसी को बेचा जाएगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पहले ही रियूज वाटर के इस्तेमाल के आदेश दे रखे हैं। रियूज वाटर की सप्लाई के लिए नगर निगम और एनटीपीसी सीपत के बीच एमओयू होना है, जो 2021 से पेंडिंग है। कोर्ट ने यह सब कार्य कब तक पूरे होंगे यह बताने को कहा है।