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बिलासपुर

कोर्ट का फैसला- पहले और चौथे शनिवार बच्चा रहेगा मां के पास, रविवार को मां सौंप देगी पिता को

नाबालिग की अभिरक्षा मामले में परिवार न्यायालय को अपने आदेश का पालन कराने के निर्देश – हाईकोर्ट
 

बिलासपुरDec 09, 2019 / 09:13 pm

Murari Soni

कोर्ट का फैसला- पहले और चौथे शनिवार बच्चा रहेगा मां के पास, रविवार को मां सौंप देगी पिता को

कोर्ट का फैसला- पहले और चौथे शनिवार बच्चा रहेगा मां के पास, रविवार को मां सौंप देगी पिता को

बिलासपुर. हाईकोर्ट ने नाबालिग की अभिरक्षा मामले में परिवार न्यायालय को ताकिद किया है कि फैसला सुनाते समय सिविल प्रक्रिया संहिता के नियमों का कड़ाई से पालन करें। साथ ही अंतरिम आदेश जारी करने के बाद उसका पालन भी सुनिश्ति कराएं।
अपने दो नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा के लिए कोरबा की श्वेता तिवारी द्वारा परिवार न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया गया था। उक्त आवेदन के साथ ही उसके पति तुषार तिवारी ने भी न्यायालय में आवेदन देकर बच्चों की कस्टडी सौंपे जाने की मांग की गई। परिवार न्यायालय ने उक्त दोनों आवेदनों पर सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश पारित करते हुए निर्देशित किया कि बच्चों को प्रत्येक माह के पहले व चौथे शनिवार को पिता उनकी मां को सौंपेगा व रविवार शाम को मां उन्हें वापस पिता को सौंप देगी।
परिवार न्यायालय द्वारा 22 अप्रैल 2019 को दिए गए उक्त आदेश को मानने से पति तुषार द्वारा आनाकानी की जाने लगी। इस पर बच्चों की मां श्वेता ने परिवार न्यायालय में आवेदन देकर अपने आदेश का पालन कराए जाने की मांग की गई। न्यायालय ने उक्त आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विधि में अंतरिम रूप से पारित निर्णय के लिए उपबंध नहीं होने के कारण इसका निष्पादन नहीं किया जा सकता।
परिवार न्यायालय द्वारा प्रकरण का निराकरण नहीं किए जाने पर मां ने अधिवक्ता रोहित शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस आरसीएस सामंत की एकलपीठ ने प्रकरण की सुनवाई के बाद कहा कि परिवार न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय फैमिली कोर्ट एक्ट 1984 की धारा 10 के अंतर्गत सिविल कोर्ट के फैसले के समान है। इसमें याचिकाकर्ता के पक्ष में कोई भी डिक्री नहीं होना, स्वीकार योग्य नहीं होने के साथ विधिमान्य भी नहीं है। जस्टिस सामंत ने ये भी कहा कि अगर किसी न्यायालय द्वारा कोई निर्णय पारित किया जाता है तो असरवान होने के साथ अर्थवान भी होना चाहिए। साथ ही कोर्ट को अपने फैसले का पालन कराने के लिए भी गंभीर होना चाहिए। एकलपीठ ने परिवार न्यायालय को 22 अप्रैल 2019 को दिए अपने अंतरिम आदेश के पालन कराए जाने का निर्देश दिया है।

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