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Bilaspur High Court: फाइनेंस कंपनी को बड़ा झटका! पारित एकतरफा आदेश को हाईकोर्ट ने किया निरस्त

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने फाइनेंस कंपनी द्वारा नियुक्त मध्यस्थ के द्वारा पारित एकपक्षीय अवार्ड निरस्त किया है। कोर्ट ने कहा कि नियम अनुसार आर्बिट्रेटर द्वारा एकपक्षीय आदेश पारित नहीं किया जा सकता।

बिलासपुरSep 21, 2024 / 06:17 pm

Laxmi Vishwakarma

Bilaspur High Court
Bilaspur High Court: याचिकाकर्ता श्रीपत मिश्रा द्वारा इक्विटस बैंक से ट्रक खरीदने के लिए लोन लिया गया था। इस संबंध में एक अनुबंध कंपनी के साथ किया। ऋण प्राप्त करने के उपरांत याचिकाकर्ता द्वारा नियमित रूप से मासिक किस्त का भुगतान किया जा रहा था।
करोना के दौरान एवं अन्य व्यापार घाटे के कारण ऋण की किस्त का भुगतान नही हो पाने पर इक्विटास बैंक ने ऋण खाते को एनपीए घोषित कर दिया और बलपूर्वक वाहन को जब्त कर नीलाम कर दिया गया।Bilaspur High Court इसके उपरांत इक्विटास बैंक द्वारा चेन्नई में मध्यस्थता की कार्यवाही प्रारंभ की गई। बैंक द्वारा अपनी मर्जी से चेन्नई में एक आर्बिट्रेटर की नियुक्ति कर दी गई।

Bilaspur High Court: आर्बिट्रेटर की नियुक्ति पर उठाए सवाल

बैंक द्वारा नियुक्त आर्बिट्रेटर ने एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए इक्विटास बैंक के पक्ष में अवार्ड पारित कर दिया। साथ ही निर्णित ऋ णी के समस्त बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश पारित कर दिया। Bilaspur High Court इसके विरुद्ध श्रीपत मिश्रा ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की। साथ ही बैंक द्वारा नियुक्त आर्बिट्रेटर द्वारा पारित एकपक्षीय अवार्ड को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।
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याचिका में बताया गया कि माध्यस्थम एवं सुलह अधिनियम में 2015 में संशोधन किए गए। 2015 के प्रावधान के अनुसार धारा 12 (5) अनुसूची 7 के अनुसार ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका किसी भी पक्षकार से किसी भी तरह का निजी व्यावसायिक अथवा व्यापारिक हित है वह व्यक्ति या संस्था मध्यस्थ अथवा आर्बिट्रेटर के रूप में कार्य नहीं कर सकता।

आर्बिट्रेटर द्वारा पारित अवार्ड निरस्त

Bilaspur High Court: याचिका में बताया गया कि बैंक द्वारा चेन्नई में एकपक्षीय आर्बिट्रेटर की नियुक्ति कर दी गई एवं आर्बिट्रेटर द्वारा बैंक के ही पक्ष में एकपक्षीय अवार्ड पारित कर दिया गया जो कि प्रारंभ से ही शून्य एवं अधिकारिता विहीन है। नोटिस का जवाब आने के बाद कोर्ट ने प्रकरण पर अंतिम सुनवाई कर याचिका स्वीकार करते हुए आर्बिट्रेटर द्वारा पारित अवार्ड को निरस्त कर दिया।

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