तत्कालीन कलेक्टर ने कब्जे के लिए दिया था आदेश : मामला तत्कालीन कलेक्टर अन्बलगन पी तक पहुंचा तो उन्होंने भी किस्त न जमा कर पाने की स्थिति में 36 मॉल का कब्जा पीएनबी को देने की बात कही थी। लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका। बाद में मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस मनींद्र श्रीवास्तव ने 36 मॉल के मालिक को 6 सप्ताह के भीतर 5 करोड़ रुपए की किस्त जमा करने कहा था। यह मियाद बीते 23 अगस्त को खत्म हो गई। मियाद खत्म होने के बाद पीएनबी के प्रतिनिधि अभिलाष गौतम ने बिलासपुर तहसील कार्यालय में पहुंचकर हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक 36 मॉल का कब्जा दिलाने का अनुरोध किया। इस पर कोई कार्रवाई होती इसके पहले 36 मॉल के मालिक ने हाईकोर्ट में अंतरिम राहत के लिए याचिका पेश कर फिर से समय मांगा।
यह है मामला : मालूम हो कि वर्ष 2013- 14 में पूर्व मंत्री केके गुप्ता, संजय गुप्ता, पिंकी गुप्ता और नीलम गुप्ता के नाम से बिलासपुर में 36 मॉल के लिए आईसीआईसीआई बैंक से 100 करोड़ और पंजाब नेशनल बैंक से 20 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था। कर्ज के एवज में आज तक एक भी किस्त जमा नहीं की गई। बैंको ने किश्त के लिए दबाव डाला । कर्जदारों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। इस बीच आईसीआईसीआई बैंक ने किस्त न मिलने पर वसूली के लिए अपने लोन का शेयर एक कंपनी को दे दिया। कंपनी ने बाद में शेयर पंजाब नेशनल बैंक को दे दिए। पंजाब नेशनल बैंक पर माल का कुल 120 करोड़ का कर्ज हो गया। पीएनबी की यह ब्रांच कटोरा तालाब रायपुर में है। पीएनबी की ओर से कर्ज की वसूली के लिए लगातार कोशिश चलती रही। लेकिन फिर भी 36 मॉल विकास प्राइवेट लिमिटेड के मालिकों ने किस्त जमा नहीं की।
विजय माहेश्वरी, सीए
बैंकिंग सिस्टम में छेद : इस तरह की घटनाएं बैंकिंग सिस्टम के फुलप्रूफ नहीं होने की ओर इशारा करती हैं। लोन देते वक्त वापसी की क्या गारंटी होगी, इस बात का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा गया। दवाब में आकर या कभी-कभी साख बनाने के लिए भी बैंक जरुरत से ज्यादा लोन दे देती है। बाद में एनपीए का रोना रोती है। विजय माल्या समेत देश में ऐसे कई उदाहरण सामने हैं।
कमल बजाज, टैक्स कंसल्टेंट