शुद्धता ने बनाया ब्रांड, पर्यटन का बन सकता है ताकतवर हथियार सबसे खास बात यह है कि शहर के हर गली मोहल्ले में खानपान की शुद्ध चीज मिल ही जाएगी। रसगुल्लों की मिठास और भुजियों की चरकास के लिए विश्व प्रसिद्ध बीकानेर यूं ही विख्यात नहीं है। दशकों से प्रदेश व देश ही नहीं, विश्व के कई हिस्सों में हमारे रसगुल्लों और भुजियों की मांग बनी रहती है। पारम्परिक मिठाइयां व नमकीन भी बीकानेर की विशेष पहचान हैं। बीकानेर आने वाले प्रवासियों के साथ खान-पान की यह सामग्री देश ही नहीं दूर देश भी जाती है। शहर को करीब से जानने-परखने वाले मानते हैं कि इसे पर्यटन के विकास का ताकतवर हथियार भी बनाया जा सकता है। चाय पट्टी से लेकर भुजिया बाजार तक पग-पग पर एक अलग जायका इसकी यूएसपी यानी विशेषता है। शहर में कई ऐसी जगहें भी हैं, जो फूड टूरिज्म का अड्डा बन सकती है।
पंधारी के लड्डू और मोतीपाक के तो कहने ही क्या शहर की पारम्परिक मिठाइयां भी बीकानेर के बाहर दूसरे राज्यों में भी काफी पसंद की जाती हैं। शहर से बाहर रहने वाले लोग भी देशी घी से बनी मिठाइयां और यहां की नमकीन खाना काफी पसंद करते हैं। खासकर कोलकाता, मुम्बई, बंगलूरु, आसाम, चेन्नई, उत्तर प्रदेश सहित देश व विदेशों में रहने वाले प्रवासी इन मिठाइयों के साथ बड़ी मात्रा में नमकीन मंगवाते हैं। मोतीपाक, गुलाब जामुन, पंधारी के लड्डू, सुरशाही के लड्डू, दिलखुशाल, बालूशाही की अपनी अलग विशेषता है।
छत्ते की तो विदेशों तक पहचान बीकानेर में कई जगहों के बर्फ का गोला यानी छत्ते की विदेशों तक डिमांड रहती है। शादी-पार्टियों के लिए अलग-अलग जगहों से मांग रहती है। शहर में गंगाशहर, पवनपुरी, स्टेशन रोड, जस्सूसर गेट सहित अन्य जगहों पर लगने वाली दुकानों के छत्ते काफी प्रसिद्ध हैं।
यहां का टेस्ट ही अलग है यहां का तो टेस्ट ही अलग है। शायद पानी की वजह से खाने का स्वाद विशिष्ट है। कचौड़ी-पकोड़ी के अलावा आलू टिकिया और बर्फ का गोला खासा प्रसिद्ध है। पर्यटन विभाग को अलग से जोन बनाने की पहल करनी चाहिए। अगर खान-पान को पर्यटन की प्लानिंग में शामिल करें, तो फूड पर्यटन की अच्छी संभावनाएं यहां मौजूद हैं।
– संजीव नंदा, रेस्टोरेंट संचालक