डॉ. गर्ग ने कहा कि हार्ट पर साइलेंट अटैक लापरवाही की वजह आता है। किसी मरीज के सीने में हल्का दर्द होता है तो वह इसे मामूली गैस की शिकायत मान लेता हैं। चिकित्सक को दिखाने की जरूरत नहीं समझते हैं। जबकि वह गैस की शिकायत नहीं होकर हृदय रोग की शिकायत होती है, लेकिन इस पर गौर नहीं किया जाता है। ऐसे में साइलेंट अटैक से मरीज जिंदगी से हाथ धो बैठता है।
इन मरीजों को सबसे अधिक खतरा
बीकानेर में हृदय रोग विशेषज्ञों की कॉन्फ्रेंस में शामिल होने आई डॉ. गर्ग ने कहा कि आमतौर पर डायबिटिज रोगियों को साइलेंट अटैक की शिकायत सामने आ रही है। ज्यादातर मामलों में रोगियों के सीने में हल्का दर्द होने पर उसे गंभीरता से नहीं लेना भी सामने आया है। मरीज इस प्रकार के लक्षणों को समझ नहीं पाता और गैस की शिकायत मानकर सामान्य फीजीशियन को दिखा कर दवा ले लेते हैं। डायबिटिज रोगियों में दर्द बताने वाली नाड़ियां मधमेह से प्रभावित होने से ऐसा होता है।
डॉ. गर्ग ने बताया कि अगर किसी की हृदय रोग की फैमिली हिस्ट्री हो तो उसे इसके प्रति गंभीर रहना चाहिए। सीने में दर्द होने पर तत्काल हृदय रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। यदि मरीज के चलने से सांस फूलता है, कमजोरी होने, सीने में दर्द और धड़कन तेज होती है तो उसे चिकित्सक से संपर्क कर ईसीसी, इको जांच करानी चाहिए। इससे हृदय की स्थिति का पता चल सकेगा।
खान-पान में बदलाव बड़ी वजह
डॉ. गर्ग ने कहा है कि देश में लोगों के खानपान में बदलाव का बड़ा असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। भारतीय स्मोकिंग तथा फास्टफूड का अधिक सेवन करते हैं। तेल में तली चीजें तथा मांस पेशियों को मजबूत करने की दवाइयों का उपयोग अधिक करने लगे है। जबकि यह हृदय के लिए खतरनाक है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए सप्ताह में पांच दिन नियमित रूप से तीस मिनट तक वॉक करनी चाहिए। खान-पान पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। हृदय रोग की फैमिली हिस्ट्री वाले तीस साल की उम्र में सभी जांचें अवश्य करवा लेंवे।