बॉर्डर एरिया वाले श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, बीकानेर, जैसलमेर-बाड़मेर जिलों में दर्जनों खाने रेड और यलो जोन में आ रही है। बीकानेर में जिप्सम के 36 खनन पट्टों में से 30 बॉर्डर एरिया में आ रहे है। इसी के साथ एयरपोर्ट व अन्य श्रेणी के प्रतिबंधित एरिया में नाल व बीछवाल समेत बीकानेर के आस-पास के खनन पट्टे आ रहे है।खनन कारोबारी ड्रोन सर्वे की बाध्यता लागू करने के बाद से कई तरह की अन्य आशंकाओं को लेकर भी चिंतित है। उन्हें लगता है कि पट्टा क्षेत्र व आस-पास में पहले हो चुके अवैध खनन का खामियाजा उन्हें अब नहीं भुगतना पड़ जाए। ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट मिलते ही खनन विभाग उन पर कार्रवाई कर सकता है।
30 जून तक देनी है ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट
खान एवं पेट्रोलियम विभाग जयपुर ने 24 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर आरएमएमसीआर 2017 के नियम 28, 29 में संशोधन एवं नियम 29 (ए) को जोड़ा। इसमें प्रत्येक अप्रधान खनिज लीज धारक को हर साल अप्रेल एवं मई में खनन पट्टा क्षेत्र और उसके चारों तरफ 100 मीटर के क्षेत्र का ड्रोन सर्वे स्वयं के खर्च पर करवा कर रिपोर्ट संबंधित खनि अभियंता या सहायक खनिज अभियंता को देनी है। खान विभाग निदेशालय उदयपुर ने प्रारूप के साथ गत 12 नवम्बर को एसओपी भी जारी की है। विभाग में रिपोर्ट जमा कराने की अंतिम तिथि हर साल 30 जून रहेगी। यह नियम 1 अप्रेल 2025 से प्रभावी हो रहा है।
प्रदेश में 16 हजार से ज्यादा अप्रधान खनिज पट्टे
प्रदेश में अप्रधान खनिज पट्टों की संख्या 16 हजार 817 हैं। अकेल बीकानेर का अप्रधान खनिज पट्टों का क्षेत्रफल 10 हजार 435 हैक्टेयर हैं। यानि ड्रोन सर्वे के तहत आस-पास के 100 मीटर क्षेत्र को शामिल करने पर कुल क्षेत्रफल करीब 16 हजार हैक्टेयर हो जाएगा। खनन विभाग ने अवैध खनन को रोकने के लिए अप्रधान खनन पट्टाधारकों के लिए ड्रोन सर्वे की व्यवस्था लागू की है। दूसरी तरफ प्रदेश में 17 हजार 454 क्वारी लाइसेंस भी हैं। इन्हें ड्रोन सर्वे से मुक्त रखने से विभाग के उद्देश्य पर सवाल उठ रहे है।प्रदेश में खनन पट्टे और क्वारी लाइसेंस खनन पट्टे- 16817, अवधि 50 वर्षक्वारी लाइसेंस- 17454, अवधि 50 वर्ष
खनन कारोबारियों का बढ़ेगा खर्च
वर्तमान में ड्रोन सर्वे की लागत करीब 5 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर है। इस लिहाज से अकेले बीकानेर जिले में पट्टा धारकों को प्रति वर्ष करीब 7 करोड़ रुपए ड्रोन सर्वे पर खर्च करने पड़ेंगे। पूरे राज्य में यह आंकड़ा 60 से 70 करोड़ रुपए तक भी हो सकता है। सर्वे का खर्च खनन कारोबारी को स्वयं वहन करना है। इससे खनन कार्य की लागत बढ़ जाएगी।
रेड और यलो जोन में यह परेशानी
रेड और यलो जोन में ड्रोन के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी होती है। रेड जोन में अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर एरिया का 25 किमी तक क्षेत्र, सैन्य और सामरिक महत्व के स्थान, एयरबेस आते है। यलो जोन में एयरपोर्ट और हवाई पट्टी का 12 किलोमीटर क्षेत्र आता है। बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर विमान अधिनियम 1934 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इसमें एक लाख रुपए जुर्माना और एक साल तक जेल की सजा का प्रावधान है।
सभी शंकाओं का करेंगे समाधान
ड्रोन प्रतिबंधित क्षेत्रों में आने वाली खानों के लिए कोई समाधान निकाला जाएगा। खनन पट्टाा धारक को अनुमति दिलाने के कदम उठाए जाएंगे। पुराने अवैध खनन का अब खामियाजा भुगतने की आशंका निर्मूल है। पट्टा देते समय कई तरह की रिपोर्ट और मौका ब्यौरा लिया जाता है। फिर भी खनन कारोबारी कोई बात रखेंगे तो उसका परीक्षण कराया जाएगा। क्वारी लाइसेंस में ड्रोन की बाध्यता लागू नहीं करने के पीछे वजह है। इसके लिए पुराने नियम बने हुए है। दोनों लाइसेंस के लिए अलग-अलग लीज एरिया, परमिट, रॉयल्टी कलेक्शन की व्यवस्था है। सरकार और जनता के हित में यह प्रोग्रेसिव निर्णय है। ड्रोन प्रक्रिया अवैध खनन पर अंकुश लगाने और पारदर्शिता के लिए ड्रोन सर्वे को लागू किया है। भविष्य में क्वारी लाइसेंस को भी देखा जाएगा।– भगवती प्रसाद कलाल, निदेशक खान एवं भू विज्ञान विभाग उदयपुर
फीते और कंपास वाली खान का ड्रोन सर्वे गलत
प्रदेश में क्वारी लाइसेंस क्षेत्र में आरसीसी रॉयल्टी ठेकों की आड़ में अवैध खनन को बढ़ावा मिल रहा है। सरकार ने इस पर अंकुश लगाने की जगह खानों का ड्रोन सर्वे करवा रही है। इससे अवैध खनन रोकने की विभाग की मंशा पर संदेह पैदा होता है। अधिकांश खनन पट्टे 1986 या इससे पहले के है। यह पट्टे उस समय एफआरपी पॉइंट को आधार मान कर फीते व कंपास से स्वीकृत किए गए थे। अब डीजीपीएस से ड्रोन सर्वे होने पर ओवरलैपिंग की संभावना एवं विभाग से एनओसी लेकर कई बार ट्रांसफर हो चुके पट्टों की ड्रोन सर्वे रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण बनाने की आशंका है। जिसकी मार वर्तमान लीज धारक पर पड़ेगी। प्रतिबंधित क्षेत्र में आने वाली खानों का ड्रोन कराना सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है। लीज धारक स्वयं ड्रोन सर्वे करवा रहा है, ऐसे में इस रिपोर्ट को न्यायालय में भी चुनौति नहीं दे पाएगा। मुख्यमंत्री खान मंत्री भी है। उन्हें इस बारे में संज्ञान लेकर विचार करना चाहिए।– देवेंद्र सिंह शेखावत (धमोरा ) खनन मामलों के जानकार