बीकानेर

साथ के लिए साधुवाद, मंजिलें अभी और भी हैं…

– बीकाणा री बात
 
 

बीकानेरAug 06, 2022 / 08:47 pm

Ashish Joshi

साथ के लिए साधुवाद, मंजिलें अभी और भी हैं…

आशीष जोशी

आमतौर पर 35 साल की उम्र मैच्योरिटी वाली कही जाती है। बीकाणा में आपका और हमारा साथ भी आज 35 वर्ष पूरे कर रहा है। राजस्थान पत्रिका ने 7 अगस्त 1987 को जब बीकाणा की इस धोरा धरती पर कदम रखे तभी सुनिश्चित हो गया था कि सबके साथ शुरू हुआ विश्वास से भरा यह सफर बहुत लम्बा चलने वाला है। आप सभी सुधि पाठकों के स्नेह और सहयोग की छांव तले यह पौधा कैसे धीरे-धीरे अपनी जड़ों को फैलाता गया, सुख-दुख के पलों को बांटता गया और हर उतार-चढ़ाव का भागीदार बनता गया, यह तो हमारे सुधि पाठक ही बता सकते हैं। लेकिन, एक बात का संतोष हमेशा रहता है कि परिस्थितियां कितनी भी विकट क्यों नहीं आई हों, आप सबका साथ उससे संघर्ष करने की हिम्मत देता रहा। साढ़े तीन दशक की यात्रा में बीकानेर संभाग के न जाने कितने मुद्दों को आमजन की भागीदारी से सही अंजाम तक पहुंचाने का काम हमने किया।

सरहदी बीकानेर संभाग में विश्वास के पर्याय के रूप में पत्रिका ने किस तरह साढ़े तीन दशक की यात्रा पूरी की, वह सबके सामने है। इस सफर के साक्षी वे सभी सुधि पाठक हैं जिन्होंने कदम-कदम पर साथ दिया। हमें आगे बढऩे के लिए न केवल प्रेरित किया, बल्कि तंत्र से मजबूती से लोहा लेने के लिए संबल भी दिया। आमजन की आवाज बन सके इसके लिए पूरी ताकत से सुर दिए। यह सब आपके सहयोग का ही परिणाम रहा कि हम उन कानों से पारा पिघलाने में कामयाब हो सके, जिन्होंने जनाधार के बूते ऊंचाइयों को छूने का काम किया और बाद में हर आवाज को अनसुना कर दिया। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, तकनीकी विश्वविद्यालय…जैसे बड़े शैक्षणिक संस्थान आपके साथ का ही नतीजा है। हमारे यहां उच्च शिक्षा के ऐसे अलहदा केंद्र हैं, जो उसे दूसरे शहरों से अलग बनाते हैं। बात चाहे संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में संसाधनों और सुविधाओं के विस्तार की हो या फिर तैयार होकर भी बंद पड़े एयरपोर्ट को शुरू करवाने की मुहिम, पत्रिका हमेशा बीकानेर की जनता की आवाज बना।

पत्रिका अभियान के बाद ही बॉर्डर पर अवैध खनन थम सका। आपके साथ का ही नतीजा है कि बीकानेर देश के प्रमुख शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा। अमृतम जलम् अभियान में यों तो दर्जनों तालाबों, जोहड़ों और नाडि़यों की सफाई और जीर्णोद्धार हुआ, लेकिन एक तालाब तो ऐसा चमका कि लोग उसे पत्रिका तालाब ही कहने लगे। …ऐसे कई अनगिनत काम हैं जो आपने और हमने मिलकर बीकानेर के लिए किए।

विशाल सांस्कृतिक वैभव को अपने दामन में समेटे यह जिला न केवल अपने गौरवशाली इतिहास की गाथा गा रहा है, बल्कि एक नई अंगड़ाई के साथ विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है। उजले अतीत और विकास के पन्नों के साथ यह जिला वर्तमान चुनौतियों संग कदमताल भी कर रहा है। अब अपराध के ऐसे किस्से भी जुड़े जो यहां की संस्कृति से कत्तई मेल नहींं खाते। कुछ वर्षों में यहां ऐसे अपराध हुए हैं, जिन्होंने न केवल इस शहर को हिला दिया, बल्कि शहरवासियों को भी भीतर तक झंकझोर दिया। यह बहुत बड़ी चुनौती है हमारे लिए, इस पर तत्काल विराम लगाना होगा। यहां की सुरक्षा व्यवस्था के लिए तो यह बहुत बड़ा सवाल है ही, शहरवासियों को भी इसे समझ कर रोकने के लिए मिसाल पेश करनी होगी। क्योंकि शांति, सुकून और अपनापन न केवल हमारे नगर की पहचान है, बल्कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था और जीवनशैली भी जुड़ी है। रसगुल्ले की मिठास और नमकीन भुजिया… बेशक दोनों हमारी ‘यूएसपी” है, लेकिन रिश्तों में खटास और शहर की आबोहवा में तल्खी हमारी फितरत कभी नहीं रही।

आज बीकानेर संस्करण के उन हजारों-लाखों पाठकों को आभार व्यक्त करने का दिन है, जिन्होंने हर मुश्किल घड़ी में परिवार के अभिन्न सदस्य की तरह पत्रिका का साथ दिया। यह आपके आशीर्वाद, शुभकामनाओं और सहयोग का ही प्रतिफल है कि रेगिस्तान की इस धरा पर पत्रिका का सफर सतत ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है। आगे भी यह पूरी गति से बढ़ता रहेगा। अपने गौरवशाली इतिहास और वैभवपूर्ण संस्कृति की मजबूत नींव पर खड़े इस शहर का सपना सकारात्मक सोच के साथ सही दिशा में आगे बढऩा है। लेकिन, इसके साथ यहां के मरुस्थल और ऐतिहासिक स्थापत्य का वजूद बचाने के लिए भी मजबूती से कदम उठाने हैं। जिस माटी में शौर्य की गाथाएं बसती हो, जिसके धोरों में जवानों का अदम्य साहस वीरता की नई कहानी लिखते हो, वहां भविष्य की तस्वीर को सुनहरे रंगों से ही गढऩा है। हमें सुनिश्चित करना होगा, हमसे ऐसे कोई काम न हों, जिन पर आने वाली पीढि़यां सवाल खड़े करें। जो कर रहे हैं, उसका परिणाम भले अभी नहीं दिख रहा हो, लेकिन आने वाले समय में अतीत को ही याद किया जाता है। ऐसे में हम सबको मिलकर मील के पत्थर स्थापित करने होंगे, जो आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल बन सके। शहर और समाज हित में आपकी हर पहल को पत्रिका सदैव मजबूती से आगे बढ़ाता रहेगा।

गौरवशाली अतीत अपनी जगह है, शहर को नए नजरिए से देखिए। बहुत कुछ नयापन लगेगा, जो आपको आगे बढऩे का हौसला देगा। लक्ष्य देगा अपने लिए और अपने शहर के लिए। खैर, इस बारे में तसल्ली से सोचिएगा। आपको एक नया दर्शन मिलेगा। जीवन के साथ शहर को जीने का दर्शन। अतीत के गौरव और वर्तमान के उतार-चढ़ाव के साथ सुनहरे भविष्य का दर्शन। शहर तेजी से बदल रहा है, लेकिन इसकी सतरंगी संस्कृति आज भी तंग गलियों में बसती है। कहा जाता है वर्ष में भले ही 365 दिन होते हैं, लेकिन बीकानेरवासी इससे भी अधिक त्योहार और उत्सव मनाते हैं। यहां हर रात दिवाली और हर दिन उत्सव है। बीकानेर अभी भी जीवंत है, ऊर्जावान है और संवेदनशील भी। वह हर किसी की खुशी में खुश होता है, तो दुख में आघात भी पहुंचता है। मीठे रसगुल्लों और समृद्ध साहित्य-संस्कृति के लिए विख्यात बीकाणा के आंगन में आधुनिकता की रंगोली भी सज रही है। यह शहर एक अजूबा, अनूठा और वैभवपूर्ण स्थापत्य के लिए भी पहचान रखता है। इसके पत्थरों और टीलों में भी प्राण हैं। एक स्पन्दन है, गर्व भी है। इन महलों, जाली-झरोखों, सफीलों, बुर्जों, कांगरों, पाळो और पाटों की अपनी कहानी है, इतिहास है, इन प्राचीरों के भी कान हैं।

जन-जन की आवाज और साथ के बूते हम सभी चुनौतियों को पार करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। हर वर्ग की भावनाओं को सहेजकर उसे संबंधित जिम्मेदारों के सामने पूरे मनोयोग से रखने का काम किया। साथ ही एक संकल्प मन में रखा कि जब तक उस वर्ग को राहत नहीं मिलेगी, आवाज उठती रहेगी और हक मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी। यह पाठकों के भरोसे का ही तो बल है कि विकट हालात में भी आगे बढऩे का हौसला मिलता रहा। इस रेगिस्तानी इलाके में चुनौतियां वैसे भी बहुत ज्यादा थी। लेकिन, उनसे पार पाने के लिए जब सैकड़ों हाथ हजारों में और हजारों, लाखों में जुड़ जाते हैं तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। पत्रिका ने ऐसे ही हाथ बढ़ाने और लोगों के दर्द को बांटने का काम किया। विश्वास और सहयोग का यह कारवां अभी तो अपने छोटे से पड़ाव तक पहुंचा है। उत्साह, उम्मीद और ऊर्जा से लबरेज इस साथ को अभी कई मुकाम और हासिल करने हैं। इस साथ के लिए साधुवाद।

 

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