लूणकरणसर से ‘लूण’ गायब
श्रीडूंगरगढ़ से 56 किलोमीटर का सफर कर लूणकरणसर के मुख्य चौराहे पर पहुंचते ही सबसे पहले कस्बे के नाम के मुताबिक लूण (नमक) के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई तो चौराहे पर ही सब्जी खरीद रहे ओमप्रकाश नायक से पूछ लिया, यहां नमक होता है क्या? बस, यह पूछते ही वह शुरू हो गए, बोले- सौ कदम की दूरी पर ही खारे पानी की झील है, खुद ही जाकर देख लो…। जब इधर की हवा चलती है तो बदबू के कारण निवाला तक नहीं निगल पाते। झील के पास पहुंचा तो, यहां नमक की जगह कीचड़ के ढेर दिखे। सडक़ से गुजर रहे दयाराम ने बताया कि यह उत्तरी राजस्थान की एकमात्र खारे पानी की झील है, लेकिन सीवरेज के पाइप डालकर इसका सत्यानाश कर दिया। किसी सरकार को इसकी परवाह नहीं है।
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जमीन दस बीघा…बुवाई दो बीघा में
यहां से कस्बे में पहुंचा तो सिलाई की एक दुकान पर तीन जने आपस में बतिया रहे थे। मैंने जैसे पूछा कि क्षेत्र की बड़ी समस्या क्या है तो उनमें से गजेंद्र ने कहा, समस्या तो उन किसानों से पूछो जो नहर का पूरा पानी नहीं मिलने के कारण दस बीघा की जगह मात्र दो बीघा में मूंगफली का बीजान कर पा रहे हैं। इतने में नंदकिशोर ने कहा, लूणकरणसर में नगरपालिका तक नहीं है। बस स्टैंड तो बना दिया, लेकिन वहां बसें नहीं जाती।
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गांव में डॉक्टर छह, मिलता एक
लौटते वक्त कालू गांव में रुका तो वहां बाजार में चाय की थड़ी पर बैठे मिले रामावतार पारीक और हसंराज ने पानी, बिजली की समस्या गिनाते हुए कहा कि गांव के अस्पताल में छह डॉक्टरों की पोस्ट है, लेकिन एक डॉक्टर मिलता है। कालू से निकलकर श्रीडूंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र के गांव गुसाईसर बड़ा पहुंचा। वहां बस का इंतजार कर रहे कुछ बुजुर्ग बोले, स्थानीय राजनीति के कारण यह पंचायत सबसूं लारै है (सबसे पीछे है)। वहीं, दुकानदार प्रहलाद दास का कहना था कि प्रदेश में सरकार और गांव में सरपंच अलग-अलग पार्टी का होता है। हालांकि इस बार दोनों के स्तर पर काम हुए हैं।