50 प्रतिशत तक कम हुए मरीज पीबीएम अस्पताल में जब से फोटो लगी पर्ची देने का नियम लागू हुआ है, तब से मरीजों की संख्या लगभग आधी हो गई है। माना जा रहा है कि इससे फर्जीवाड़ा भी रुका है, लेकिन इसकी मार गंभीर मरीजों पर अधिक पड़ी है। मरीज अब उन चिकित्सकों के घर पर दिखाने जा रहे हैं, जहां पर आरजीएचएस की बिना फोटो की पर्ची से दवा मिल रही है। गौरतलब है, आरजीएसएच की पर्ची के लिए पीबीएम में आठ काउंटर हैं। शुरुआत के दिनों में काउंटरों पर कैमरे पर्याप्त नहीं होने से कार्मिक भी मरीज की स्थिति देखकर पर्ची दे देते थे, लेकिन अब काउंटरों पर कैमरे लगाकर कंप्यूटर से जाेड़ दिए गए हैं। इस वजह से अब बिना फोटो की पर्ची देना बंद कर दिया गया है।
ऐसे मरीजों की दिक्कत बढ़ी बदले हालात में पैरालिसिस, हृदय रोगी, दिव्यांग, मानसिक रोगी, डायलिसिस कराने वाले तथा अन्य असाध्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों को ज्यादा दिक्कत है। वे परिजनों के सहारे काउंटर पर जैसे-तैसे खड़े होकर या व्हील चेयर पर बैठ कर पर्ची कटवाते हैं। पर्ची लेने के बाद आउटडोर में कतार में भी खड़ा होना पड़ता है।
दवाओं की ग्राहकी पर भी फर्क फोटो लगी पर्ची का नियम लागू होने से बाहर की दुकानों पर ग्राहकी पर भी असर हुआ है। क्योंकि मरीज चिकित्सकों के घरों पर दिखाने लगे हैं। – बाबूलाल गहलोत, अध्यक्ष बीकानेर कैमिस्ट एसोसिएशन