शुक्रवार को सर्किट हाउस में आयोजित जनसुनवाई और बैठक में राज्य मानव अधिकार आयोग अध्यक्ष ने कहा कि मानव अधिकार मानव को सुरक्षित और सम्मानजनक परिस्थितियां प्रदान करने से जुड़े हैं और ऐसी परिस्थितियों का निर्माण जनकल्याणकारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था का प्रथम दायित्व है, इसे ध्यान में रखते हुए सभी कार्यकारी एजेंसियां यह प्रयास करें कि मानव अधिकारों से जुड़े मामलों में जांच रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत की जाए। व्यास ने कहा कि मानव अधिकारों के संरक्षक के रूप में आयोग किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं करेगा।
आयोग अध्यक्ष ने कहा कि यदि कोई प्रकरण हाईकोर्ट स्तर पर लंबित है तो विभाग तथ्यों की जांच के लिए जल्द निस्तारण का आवेदन करें। यदि समय पर जवाब नहीं दिया जाएगा तो इसे अवमानना मानते हुए सम्बंधित के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा भी की जा सकती है । इस दौरान जिला कलक्टर नमित मेहता, पुलिस अधीक्षक प्रीति चन्द्रा, निदेशक माध्यमिक शिक्षा सौरभ स्वामी, ओमी पुरोहित सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
70 से अधिक प्रकरण सुने, मांगे जवाब
राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने सर्किट हाउस में आमजन के मानव अधिकारों से जुड़े 70 से अधिक प्रकरणों की सुनवाई की और मौके पर ही अधिकारियों से जवाब मांगे। विभिन्न प्रकरणों में अलग-अलग विभागों को समय सीमा देते हुए जवाब भिजवाने के निर्देश दिए। निजी कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं के विकास और क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने की प्रकरण पर आयोग अध्यक्ष व्यास ने जिला कलक्टर कार्यालय को 2 सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा। बलात्कार व हत्या के एक प्रकरण में पुलिस अधीक्षक को चार्जशीट शीघ्रता से न्यायालय में पेश करने के निर्देश दिए।
आत्महत्या के एक प्रकरण में जांच पुन: खुलवाते हुए 6 सप्ताह में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। जनसुनवाई के दौरान नगर विकास न्यास की ओरसे पट्टे जारी नहीं किए जाने के प्रकरण में आयोग अध्यक्ष ने 4 सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए। जनसुनवाई के दौरान विभिन्न विभागों से संबंधित प्रकरण प्रस्तुत किए गए। जनसुनवाई में सुनीता गौड ने सार्वजनिक पार्क से बिजली पोल को अन्यत्र शिफ्ट करने, हनुमान प्रसाद शर्मा ने परिवहन विभाग में दिव्यांगों के लिए रैम्प खुलवाने, पुष्पा देवी ने मकान मुक्त करवाने सहित विभिन्न प्रकरण प्रस्तुत किए गएं।