डॉ. एससी मेहता के नेतृत्व में किया गया शोध कार्य
अश्व अनुसंधान केंद्र
बीकानेर के प्रभागाध्यक्ष डॉ. एससी मेहता के नेतृत्व में किए गए शोध कार्य के परिणाम स्वरूप देश को घोड़ों की आठवीं नस्ल के रूप भीमथड़ी घोड़ा मिला है। इसे गजट नोटिफाइड कर दिया गया है।
भीमथड़ी घोड़े का दूसरा नाम डक्कनी घोड़ा है
डॉ. एससी मेहता ने बताया कि भीमथड़ी घोडा को डक्कनी घोड़े के नाम से भी पुकारते हैं। 17वीं सदी में यह घोड़े छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में शामिल थे। इनका युद्ध में इस्तेमाल किया जाता था। इनके सहारे अनेक युद्धों में शिवाजी महाराज ने विजय प्राप्त की। कालांतर में यह घोड़ा गुमनाम सा हो गया था। पिछले 30-40 वर्षों के अनुसंधान पत्रों को देखें तो यह (भीमथडी), चुमार्थी (हिमाचल) और सिकांग (सिक्किम) घोड़ों के साथ लुप्तप्राय घोड़ों की नस्लों में शामिल हो गया था।
इनको मिला सम्मान
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली में आयोजित समारोह में परिषद महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, पशुपालन कमिश्नर डॉ. अभिजीत मित्रा आदि ने डॉ. एससी मेहता एवं रणजीत पंवार को इस कार्य के लिए सम्मानित किया।
इस नस्ल को पालने वालों के अधिकार हुए सुनिश्चित
डॉ. एससी मेहता ने बताया कि राजपत्र जारी होने से इस नस्ल को पालने वालों के अधिकार सुनिश्चित हो गए हैं। इस पर समिति या संस्था बनाकर कार्य किया जा सकता है। इस नस्ल के संरक्षण एवं संवर्धन पर कार्य शुरू किया जा चुका है। ‘आल इंडिया भीमथड़ी हॉर्स एसोसिएशन’ का गठन रणजीत पंवार की अध्यक्षता में किया गया है।