हाइटेक दौर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद और नई-नई तकनीक के जरिए बदमाश वारदात कर रहे हैं। वे लोगों के खातों से आसानी से रकम उड़ा रहे हैं और पुलिस की पकड़ में भी नहीं आते। लोगों को भी खाते से रुपए निकल जाने पर तब पता लगता है, जब उनके मोबाइल पर खाते से रकम कटने का संदेश आता है। खास बात है कि अन्य क्षेत्रों के माफिया भी खून-खराबा करने की बजाय पर्दे के पीछे रह कर अपराधियों को श्रय दे रहे हैं। यही अपराधी ऑनलाइन ठगी कर रहे हैं।
बीकानेर के गोगागेट क्षेत्र निवासी एक व्यापारी के पास इंटरनेट कॉल आई। कॉल करने वाले ने बेटे के किसी रेप केस में फंसने की जानकारी दी। मामले को सुलटाने के लिए दस लाख रुपए की डिमांड की। बेटे से संपर्क नहीं होने से वे घबरा गए, लेकिन दो घंटे बाद बेटे से बात हुई, तो जान में जान आई। साथ ही असलियत का पता चला।
जयपुर के आदर्श नगर निवासी एक युवक को टेलीग्राम पर वर्क फ्रॉम होम के जरिए कमाई का लालच देकर ठगों ने 4.5 लाख रुपए हड़प लिए। ठगों ने टास्क पूरा करने के बदले कमीशन का झांसा दिया। धीरे-धीरे युवक ठगों की डिमांड पूरी करता रहा और उधर खाते से रुपए निकलते गए।
नेटवर्क तोड़ना बड़ी चुनौती
साइबर ठगों का नेटवर्क तोड़ना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। इंटरनेट मीडिया पर वीडियो लाइक करना या किसी चैनल और ऐप को डाउनलोड करवाकर या सबस्क्राइब कराकर भी ठगी की जा रही है। पहले साइबर अपराध में बिहार, झारखंड, हरियाणा व राजस्थान के कुछ विशेष क्षेत्रों का नाम सामने आता था, लेकिन पिछले एक वर्ष में इसका कनेक्शन विदेश से जुड़ा होना भी सामने आया है।
काम कर रही है पुलिस
बदमाशों के बदले ट्रेंड पर पुलिस काम कर रही है। साइबर अपराध हो या फिर जमीन के नाम पर धोखाधड़ी, दोनों पर पुलिस कार्रवाई कर रही है। गैंगस्टर, हिस्ट्रीशीट खोलने के साथ ही जेल भी भेजा जा रहा है। साइबर धोखाधड़ी, वसूली जैसे मामले सामने आते ही पुलिस ने कार्रवाई की है। तेजस्वनी गौतम, पुलिस अधीक्षक