यहां दर्शन-पूजन के लिए उमड़ते है श्रद्धालु नत्थूसर गेट के बाहर स्थित मां आशापुरा मंदिर, गायत्री भवन स्थित मां गायत्री मंदिर, करमीसर रोड स्थित मां सच्चियाय ओसिया मंदिर, भट्टोलाई क्षेत्र स्थित मां उष्ट्रवाहिनी मंदिर, जयपुर रोड स्थित वैष्णोधाम, मां लटियाल मंदिर, हरोलाई रोड स्थित जोगमाया मंदिर, जयपुर रोड दुर्गा माता मंदिर, विजय भवन स्थित करणीमाता मंदिर, सूरसागर के पास स्थित करणी माता मंदिर, जूनागढ़ स्थित देवी मंदिर, लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर स्थित मां चामुण्डा मंदिर, मूंधड़ा चौक देवी मंदिर सहित दशकों पुराने अनेक देवी मंदिर हैं जो श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा के केन्द्र है। यहां वर्ष भर दर्शन-पूजन के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं। नवरात्रा के दौरान विशेष आयोजन होते हैं।
13 फीट ऊंची मां काली की प्रतिमा सुजानदेसर गोचर क्षेत्र में स्थित मां काली का मंदिर भव्य है। मंदिर में स्थापित मां काली की प्रतिमा 13 फीट ऊंची और विशाल है। मां काली चतुर्भुजी है। हाथों में खड़ग, खप्पर, मुंड और एक हाथ आशीर्वाद देते हुए है। मां काली के प्रति श्रद्धालुओं की विशेष आस्था और श्रद्धा है। बताया जा रहा है कि एक महात्मा ने यहां तपस्या की थी, उसी क्षेत्र में यह मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में साल भर दर्शन-पूजन का क्रम चलता रहता है। नवरात्र में विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते है।
अठारह भुजाओं वाली है यह देवी पवनपुरी क्षेत्र में है मां नागणेचीजी का प्राचीन मंदिर। नगर स्थापना के समय नगर संस्थापक राव बीका ने यहां देवी प्रतिमा स्थापित की। पुजारी राजेश भोजक के अनुसार मां नागणेचीजी की प्रतिमा के अठारह भुजाए है। हाथों में त्रिशुल, चक्र, गदा,वज्र,तलवार, कमल, माला, फरसा, शंख, घंटा, नागफास ,भाला, दण्ड, ढाल, धनुष, जल की झारी आदि हैं। देवी प्रतिमा नाग के फन के नीचे विराजमान है। राव बीका इस प्रतिमा को जोधुर से बीकानेर लाए थे। मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था और श्रद्धा का केन्द्र है।
दुर्लभ है मां इन्द्राक्षी का मंदिर करमीसर रोड स्थित मां सच्चियाय ओसिया गंगा शक्ति पीठ है। इसी शक्ति पीठ में है मां इन्द्राक्षी का मंदिर। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है मां इन्द्राक्षी की मनमोहिनी प्रतिमा। पीठ से जुड़े रास बिहारी जोशी के अनुसार मार्च 2006 में इन्द्राक्षी उपासक स्व. पंडित बद्री प्रसाद रंगा ने इस मंदिर व मूर्ति की स्थापना की थी। प्रतिमा द्विभुजी है। एक हाथ से आशीर्वाद देते हुए व दूसरे हाथ में वज्र है। मां इन्द्राक्षी कमल पुष्प पर विराजमान है। यहां साल भर दर्शन, पूजन और उपासना का क्रम चलता रहता है।
राज राजेश्वरी बाला त्रिपुर सुंदरी नत्थूसर गेट के बाहर स्थित राज राजेश्वरी बाला त्रिपुर सुंदरी मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की विशेष आस्था है। मंदिर व्यवस्थापक पंडित ग्वाल दत्त व्यास के अनुसार वर्ष 2007 में मां राज राजेश्वरी बाला त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मंदिर में मां के बाल स्वरूप की प्रतिमा है। कमल पुष्प पर मां की मनमोहिनी प्रतिमा चतुर्भुजी है। हाथों में पुष्प, पुष्तक, माला और वरदहस्त है। यह स्थल साधकों के साधना का केन्द्र है। नवरात्रा में यहां विशेष अनुष्ठान होते हैं।
यहां देवी प्रतिमा व यंत्र है स्थापित विजय भवन स्थित मां करणी का मंदिर रियासतकाल से श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा का केन्द्र है। मंदिर पुजारी मोहन महाराज के अनुसार मंदिर में मां करणी की मनमोहिनी और श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी करने वाली मां करणी खड़े स्वरूप में है और द्विभुजी है। मंदिर में श्रीयंत्र, कुबेर, गणेश और लक्ष्मी के यंत्र भी स्थापित हैं, जो स्फटिक, चांदी व मूंगे से बने हुए हैं और दुर्लभ है। रियासत काल में विजय भवन का निर्माण हुआ। नवरात्र में देवी पूजन, हवन आदि का क्रम चलता रहता है।