केन्द्र के वैज्ञानिकों ने ऊंट के मूंत्र से सिंचित बीजों के अंकुरित होने और इसका फसल की बढ़वार पर शोध शुरू कर दिया है। इसके शुरुआती सकारात्मक परिणाम से भविष्य में ऊंट की उपयोगिता खेती-किसानी में फिर से लौटने की उम्मीद बंधी है। केन्द्र में पहली बार इस तरह अनुसंधान किया जा रहा है।
एनआरसीसी में शुष्क परिस्थितियों में चारा की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने की परियोजना के तहत यह शोध किया जा रहा है। शोध पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने बताया कि सामान्य पानी एवं ऊंट के मूत्र से अंकुरित बीजों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया। पानी की अपेक्षा ऊंट के मूत्र में पोषक तत्व अधिक पाए गए। इन पोषक तत्वों की वजह से बीजों को अंकुरण होने में समय कम लगा। बाद में अंकुरित पौधों को ऊंट मूत्र देने पर पानी की अपेक्षा बढ़वार ज्यादा होने के परिणाम मिले है।
ऊंट के मूत्र से ऐसे किए बीज अंकुरित
मोठ, ग्वार और बाजरा के बीजों को 1:2 के अनुपात (1 भाग बीज और 2 भाग मूत्र) में 1, 2, 3 और 4 घंटे के लिए भिगोया गया। बीज को भिगोने के बाद नमी की मात्रा को कम करने के लिए बीजों को छाया में सूखाया गया। इसके बाद बीजों को नम मिट्टी में सामान्य पानी वाले और सूखे बीजों के साथ गमलों में बोया गया। अंकुरण प्रतिशत, अंकुरण की गति, अंकुर वृद्धि और शक्ति सूचकांक जैसे कई मापदंडों को रिकॉर्ड किया गया।
प्राइमेड और सूखे बीजों की अंकुरण विशेषताओं और अंकुरित शक्ति क्षमता का मूल्यांकन किया गया। पानी की जगह ऊंट मूत्र से अंकुरित बीज जल्दी अंकुरित हो गए। परिणामों से पता चला कि सभी फसलों के बीज ऊंट मूत्र से भिगोने के बाद इनके पौधों की लंबाई भी पानी की बजाए अधिक रहती है। 48 घंटे के बाद मूत्र में भिगोये और सूखे बीज की तुलना की गई। इसमें मोठ, ग्वार और बाजरा में अंकुरण क्रमश: 38.5 प्रतिशत 45.2 और 64. 6 प्रतिशत रहा। प्राइमिंग की अवधि के अनुसार 60 घंटे तक बीज प्राइमिंग के बाद ऊंट के मूत्र में 2 घंटे बीज भिगोने के परिणामस्वरूप मोठ, ग्वार और बाजरा में 1 घंटे से अधिक क्रमश: 52.2, 57.3 और 76.5 प्रतिशत अधिक अंकुरण हुआ।
प्रारंभिक स्तर पर है अनुसंधान
इस समय केन्द्र में ऊंट के मूत्र से बीजों को अंकुरित करने का अनुसंधान प्राइमरी स्तर पर है। यह इस तरह का पहला प्रयोग है। इसमें सफलता मिलती है तो यह शोध ऊंट पालकों एवं किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
- डॉ. प्रियंका गौतम,वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान एनआरसीसी बीकानेर
ऊंट मूत्र का उपयोग हो सकेगा
ऊंटनी के औषधीय दूध, पर्यटन कार्य में ऊंट का बढ़ता प्रयोग इस पशु की उपयोगिता को फिर से स्थापित कर रहे है। अब ऊंटों की मिंगणी-मूत्र आदि के वैज्ञानिक महत्व को देखते हुए केन्द्र ने मूत्र-खाद आदि की दृष्टि से उपयोगिता सिद्ध करने का प्रयास किया है। इससे ऊंटों पालकों एवं किसानों को फायदा मिलेगा।
- डॉ. आरके सांवल, निदेशक एनआरसीसी बीकानेर