निजी अस्पतालों का आंकड़ा बहुत
जिले में करीब 510 से अधिक निजी अस्पताल और क्लीनिक हैं। 53 बड़े अस्पतालों में अलग से हड्डी रोग विभाग है। यहां अगर एक दिन में तीन घायलों का औसत भी लिया जाए तो यह 159 होता है। इस लिहाज से 30 दिनों में यह आंकड़ा 4770 को पार करता है। यह एक अंदाजा भर है, इसका कोई रिकार्ड नहीं है।पुलिस व परिवहन विभाग उदासीनपुलिस व परिवहन विभाग की उदासीनता के चलते हर माह सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। इस वर्ष जनवरी से अब तक जिले में 358 सड़क हादसे हुए। इन हादसों में 209 की मौत हुई जबकि 355 जने घायल हुए हैं। वहीं पीबीएम अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में सड़क हादसे के शिकार होकर पहुंचे 383 लोगों की मौत हुई। 4280 लोग घायल हुए, जिनमें 2119 पुरुष, 1567 महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा 367 लड़के और 227 लड़कियां घायल होकर पहुंची।
घायलों में दुपहिया चालक ज्यादा
ट्रोमा सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक सड़क हादसों में सर्वाधिक घायल दोपहिया चालक या सवार हो रहे हैं। तेज रफ्तार, हेलमेट न पहनना, ओवरटेक करना, आगे निकलने की होड़ जैसे बड़े कारण सामने आए हैं। घायलों में 20 से 35 साल तक के लोगों का प्रतिशत सबसे ज्यादा है। ट्रोमा सेंटर के आंकड़ाें के मुताबिक पिछले सात महीनों में बाइक सवार 650 लोग घायल हुए। चौपहिया वाहन में सवार 448 लोग घायल हुए।
पुलिस चालान बनाने में व्यस्त, खामियों पर कौन धरे ध्यान
जिले में पुलिस महज चालान बनाने तक ही सीमित है। सड़क हादसों को रोकने और खामियों को दूर करने पर कोई काम नहीं किया जा रहा है। पुलिस शहर के चौक-चौराहों पर चालान बनाने में लगी है। हाईवे पर वाहनों की गति को नियंत्रित करने के लिए कोई उपाय नहीं है। एक-दो इंटरसेप्टर गाड़ी हैं, जो राजमार्गों पर तेज स्पीड के चालान बनाने तक ही सीमित है।