पीबीएम में जिन फर्मों को सफाई कार्य का जिम्मा सौंपा जा रहा है, उनकी निगरानी उचित तरीके से नहीं होने और अस्पताल प्रशासन की उदासीनता के चलते परिसर पूरी तहत साफ-सुथरा नहीं रह पाता। इस कारण मरीज व उनके परिजनों को गंदगी से दो-चार होना पड़ता है और उनके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है।
अस्पताल के वार्ड व शौचालय गंदगी से अटे हुए हैं। हालत यह है कि वार्डों में गंदगी व बदबू के चलते बैठना तक दूभर हो जाता है। सफाई के लिए यहां कार्मिक लगाए हुए हैं, लेकिन सफाई ढंग से नहीं हो पाती है। सीवरेज जाम होने के कारण हर तीसरे दिन पीबीएम की मेडिसिन आपातकालीन इकाई के सामने गंदा पानी सड़क पर फैल जाता है।
पीबीएम अस्पताल ने पिछले साल मारुति कंस्ट्रक्शन को सफाई का ठेका दिया। पीबीएम अधीक्षक डॉ. पीके बैरवाल के मुताबिक सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं पाए जाने पर उसे हर महीने आठ से दस चेतावनी नोटिस दिए गए। इतना ही नहीं, सफाई ठेकेदार से हर माह सफाई व्यवस्था गड़बड़ होने पर डेढ़ से पौने दो लाख रुपए जुर्माना भी वसूल किया गया।
हर साल पीबीएम की सफाई पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। सफाई खर्च की राशि हर साल बढ़ रही है। इस बार गत वर्ष की तुलना में एक करोड़ 25 लाख रुपए अधिक में ठेका दिया गया है। इस साल सफाई का ठेका नई दिल्ली की कंपनी को दो करोड़ 72 लाख रुपए में दिया है। सफाई के नए ठेके में पूरे पीबीएम अस्पताल को शामिल किया गया है। मर्दाना, जनाना, शिशु, हार्ट, टीबी, ट्रोमा, न्यूरो साइंसेज सेंटर, यूरोलॉजी, डायबिटिज, कैंसर, धोबीघाट और पीबीएम परिसर की सड़कें भी इसमें शामिल हैं।