भद्रक में जनसभा
काठजोड़ी नदी के तट पर महात्मा गांधी पब्लिक मीटिंग हुई थी। 25 मार्च को भद्रक जिला के गांधी पडिया सालांदी नदी के तट पर लोगों को संबोधित किया। वहां से साखीगोपाल होते हुए पुरी गए। मार्च 29 को उत्कलमणि गोपबंधु दास के साथ वह ब्रह्मपुर पहुंचे जहां पर बैराक ग्राउंड (ब्रह्मपुर स्टेडियम) विशाल सभा संबोधित की।
बापू की सेहत गिरी
दूसरी बार मधुसूदन दास के आमंत्रण पर गांधी जी 19 अगस्त 1925 को कटक आए। उन्होंने उत्कल टेनरी देखी। लोगों से मिले जुले छोटे-छोटे संगमन भी संबोधित किए। उनकी तीसरी ओडिशा विजिट 4 दिसंबर 1927 को हुई। उनका आगमन खादी के प्रचार के सिलसिले में था। वह इस दौरान वह वासुदेव तहसील बालासोर में बाढ़ पीडितिों से भी मिले। तब क्षेत्र भद्रक जिले का हिस्सा था। इस दौरे में उनकी सेहत गिरने लगी। उन्होंने मधुसूदन दास के निवास पर विश्राम किया। ठीक होने पर वह 21 दिसंबर को फिर कटक लौट आए। यहां से एआईसीसी के सैशन में जाने को मद्रास (अब चेन्नई) रवाना हो गए।
अस्पश्र्यता सच्ची सेवा
महात्मा गांधी चौथी बार ओडिशा 1928 को 22 दिसंबर को आए थे। झारसुगुडा (तब संबलपुर का हिस्सा) में सार्वजनिक सभा संबोधित की। गांधी जी पांचवी बार 5 मई 1934 में ओडिशा पदयात्रा के लिए आए। उन्होंने संबलपुर, झारसुगुडा में सभाएं संबोधित की। फिर 6 दिसंबर को भंडारपोखरी (भद्रक) में विशाल जनसभा संबोधित की। इसके बाद 8 मई को पुरी में उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद पदयात्रा की। इसमें गांधी जी अस्पश्र्यता को सच्ची मानव सेवा बताया। पुरी से चंदनपुर साखीगोपाल, दंडमुकुंदपुर, पीपली, बालाकाटी, सत्यभामापुर, बालिहंता, तेलंगापंथ, काजीपटना से कटक गए। एक हफ्ते का प्रवास के बाद वह पटना चले गए।
गांधी सेवा संघ
इस दौरान बालासोर में वह मुकुंद प्रसाद दास के निवास पर एक रात रुके थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की छठवीं विजिट ओडिशा में 25 मार्च 1938 में हुई। तब वह गांधी सेवा संघ की चौथी वार्षिक कांफ्ररेंस में भाग लेने आए थे। उन्होंने उत्कल गांधी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी बड़बोइ (डेलांग) पुरी में भी भाग लिया। गांधी की सातवीं और अंतिम ओडिशा विजिट 20 जनवरी 1946 को कोलकाता से मद्रास जाने के दौरान ओडिशा में हुई। उन्होंने कटक और ब्रह्मपुर में लोगों को संबोधित किया।