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हर वर्ष इसे यादगार बनाने के प्रशासनिक प्रयास किए जाते हैं। बाली यात्रा के माध्यम से लोग वह दिन याद करते हैं जब यहां के नाविक व्यापार के सिलसिले में बाली, जावा, सुमात्रा, श्रीलंका, बोर्नियो आदि द्वीपों पर बड़ी-बड़ी नावों से जाया करते थे। उनकी वापसी पर महानदी तट पर उनका जोरदार स्वागत किया जाता था। वहां से लाई हुई वस्तुओं की बिक्री भी ओडिशावासियों के बीच की जाती थी। इन यात्राओं का उद्देश्य सांस्कृतिक और व्यापार का प्रसार होता था। सैकड़ों वर्षों से यह परंपरा जीवित है। जिन नावों से व्यापारी यात्रा करते थे, विशाल आकार की होने के कारण उन्हें बोइत कहा जाता था।
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बालीयात्रा उत्कल के नौवाणिज्य का स्वर्णिम स्मारक है। बालीयात्रा की विधिवत शुरुआत 12 नवंबर को होगी। बालीयात्रा के राज्यस्तरीय स्टेटस की जानकारी नगर विकास एवं संस्कृति पर्यटन मंत्री प्रताप जेना ने दी। जेना का कहना है कि इसे और भी बेहतर और आकर्षक बनाने के लिए सरकार हर संभव जिला प्रशासन के माध्यम से सहयोग देगी। उनका दावा है कि बालीयात्रा अबकी वर्ष पिछले वर्षों से और बेहतर आकर्षक होगी। इसके लिए विशेष आर्थिक मदद दी जाएगी। इसकी स्वीकृति दी जा चुकी है। जिलाधिकारी भवानीशंकर चायनी का कहना है कि राज्यसरकार शीर्ष की अधिसूचना जारी करके इसे राज्यस्तरीय दर्जा देगी। यह निर्णय शुक्रवार को देर शाम लिया गया था। कटक-बाराबटी के पूर्व विधायक देवाशीष सामंतराय इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिले थे।