जेल विभाग के साथ मिलकर आर्ट ऑफ लिविंग संस्था प्रदेश की जेलों में प्रिजन कार्यक्रम चला रही है। इसके अंतर्गत जेल के सभी कैदियों को सुदर्शन क्रिया, प्राणायाम, योग और ध्यान के माध्यम से तनावमुक्त रहना सिखाया जा रहा है। 2 अप्रैल से लेकर 9 अप्रैल तक इस सत्र का पहला प्रिजन कार्यक्रम संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम 22 बैचों में आयोजित किया गया, जिसमें 800 कैदियों ने प्राणायाम, योग, ध्यान और सुदर्शन क्रिया का अद्भुत अनुभव किया। इस कार्यक्रम में आर्ट ऑफ लिविंग के 36 प्रशिक्षकों ने 800 कैदियों को तनावमुक्त और हिंसामुक्त रहने का प्रशिक्षण दिया। इन कार्यक्रमों में महिला तथा पुरुष दोनों कैदियों की ऐतिहासिक शानदार भागीदारी देखी गयी जो अपने आप में लैंगिक समानता का एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है। कार्यक्रम का अगला सत्र 18 मई से शुरू होगा।
ऑर्ट ऑफ लिविंग के प्रिजन कार्यक्रम के पहले चरण के काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं। केन्द्रीय जेल नरसिंहपुर के एक दिव्यांग प्रतिभागी मनीष ने बताया कि सुदर्शन क्रिया, ध्यान की बहुत अच्छी विधि है। इससे जो अनुभव हुए मैंने स्वयं महसूस किए यह जिंदगी का सबसे अच्छा अनुभव है। इसके लिए मैं आर्ट ऑफ लिविंग का हृदय से आभारी रहूंगा। वहीं प्रतिभागी अजय कुमार ने बताया, “मुझे जेल में आने के बाद पहली बार इतनी शांति का अनुभव हुआ। …मुझे यह एहसास हो गया है कि दुनिया भर के लोग जिस शांति की खोज में मारे-मारे फिरते हैं, वह कहीं भी नहीं बल्कि आपके अपने अंदर स्थित है। मुझे स्वयं ही इस बात का एहसास हुआ कि अगर गुरु की दिशा प्राप्त हो, तो इंसान अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकता है।