भोपाल। हबीबगंज-जबलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस देश की उन चुनिंदा ट्रेनों में से एक है, जिसकी छत पर बिजली बनाई जाएगी। ये सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग सकता है, लेकिन हबीबगंज और जबलपुर के बीच चलने वाली ये ट्रेन यात्रियों को लाने – ले जाने के अलावा सोलर एनर्जी भी इकट्ठा करेगी। इस तरह ये ट्रेन साल भर में 14 लाख रुपए की बिजली की बचत करेगी।
17 कोच वाली इस ट्रेन के 11 कोच में सोलर पैनल लगाए जाएंगे। छत पर लगने वाले ये छोटे छोटे पैनल साल भर में लाखों की बिजली की बचत करेंगे। रेल मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इस योजना के लिए टेस्टिंग की जा चुकी है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि टेस्टिंग के लिए लगाए गए सोलर पैनल ने अपना काम बखूबी किया, इसके बाद अगले साल फरवरी तक इस पूरी तरह अमल में लाए जाने का टारगेट है।
ग्रीन एनर्जी सोर्स बनाएगा रेलवे
इस योजना के जरिए रेलवे एक बड़ा ग्रीन एनर्जी सोर्स बनाना चाहता है। इसकी शुरुआत पश्चिम मध्य रेलवे सहित देश के सात जोनों की एख एख ट्रेन में की जा रही है। पहले चरण में स्लीपर और सिटिंग कोच में सोलर पैनल्स लगाए जाने की योजना है। रेलवे प्रबंधन का कहना है कि अगले साल तक ऐसे ही कोच में सोलर पैनल लगाए जाएंगे। साल 2018 में एसी कोच पर भी सोलर पैनल लगाए जाएंगे। माना जा रहा है कि इस योजना के जरिए रेलवे प्रबंधन, सोलर एनर्जी के जरिए पर्यावरण के अनुकूल वातावरण बना पाएगा।
ट्रेन ही नहीं स्टेशन पर भी लगेंगे सोलर पैनल
रेलवे की योजना सिर्फ ट्रेन कोच पर ही सोलर पैनल लगाने की नहीं है। ट्रेन के कोच पर सोलर पैनल लगाने के बाद स्टेशनों की बारी आएगी। रेलवे सूत्रों के मुताबिक स्टेशनों की बिल्डिंग्स पर भी सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इसकी शुरुआत स्टेशन बिल्डिंग पर 8.8 मेगावाट के छोटे छोटे सोलर पैनल लगाकर की जाएगी।
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हर कोच पर आएगा 4 लाख रुपए का खर्च
नॉन एसी कोच पर लगने वाले सोलर पैनल का कुल खर्च 4 लाख रुपए आता है, वहीं कोच पर सोलर पैनल लगने के बाद इससे साल भर में 1 से सवा लाख रुपए तक की बिजली की बचत होती है। हबीबगंज-जबलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस के 11 कोच पर सोलर पैनल लगाए जाने की योजना है, माना जा रहा है कि इससे एक साल में करीब 14 लाख रुपए की बिजली की बचत होगी।
पैनल तैयार करेंगे बिजली, उसी कोच में होगी इस्तेमाल
हर कोच के ऊपर लगा सोलर पैनल दिन भर करीब 20 यूनिट बिजली पैदा करेगा। इस बिजली का इस्तेमाल उसी कोच में किया जाएगा। रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि योजना के पहले चरण में ट्रेनों के कोच पर लगाए गए सोलर पैनल्स से करीब 1 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
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