पानी की कमी से कई बीमारियां जन्म लेती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि अधिक मात्रा में पानी पीना भी सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है? जी हां, शरीर में पानी की कमी और अधिकता दोनों ही सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसीलिए हर साल 22 मार्च का दिन विश्व जल दिवस के तौर पर जाना जाता है। 1993 से चले आ रहे इस आयोजन की नींव इसलिए डाली गई ताकि दुनिया मीठे और पीने योग्य पानी का महत्व समझ सके।
ये दिन लोगों को याद दिलाता है कि पानी बचाना कितना जरूरी है, ये हमारा मूलभूत संसाधन है, इससे कई काम संचालित होते हैं और इसकी कमी से ज्यातार क्रिया कलाप ठप हो सकते हैं. लोगों को बताना कि पानी के बिना उनके अस्तित्व पर संकट गहरा सकता है- यही इसका मूल उद्देश्य है। जानिए ये जरुरी फैक्ट्स….
– पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन, दो एलीमेंट्स से मिलकर बना होता है।
– यह सॉलिड, लिक्विड और गैस तीनों अवस्थाओं में पाया जाता है। शुद्ध पानी में कोई महक या टेस्ट नहीं होता और इसका पीएच लगभग 7 होता है।
-एक स्वस्थ इंसान का 70% शरीर जल से बना होता है।
– हैजा और पेट संबंधी 90% रोग जल के दूषित होने के कारण होते हैं।
– अगर इंसान के शरीर में 10% पानी की कमी हो जाए तो उसकी मृत्यु हो सकती है।
– पानी की ज्यादा मात्रा जल्दी-जल्दी पीने से आपको नशा हो सकता है। पानी से ब्लड का सोडियम लेवल डाल्यूट हो जाता है, ऐसे में ज्यादा पानी दिमाग का बैलेंस गड़बड़ कर सकता है। इससे काफी हद तक वैसे लक्षण दिखाई देते हैं जैसे ऐल्कॉहॉल से।
की गई शुरुआत
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने 22 मार्च को केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) को लागू करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट समझौता नदियों को आपस में जोड़ने और विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दृष्टिकोण को लागू करने की दिशा में एक शुरुआत है।