World Hindi Day: 8 साल बाद भी अधूरा राजभाषा विभाग का सपना, पूर्व सीएम ने किया था ऐलान
World Hindi Day 2024: बात हिंदी पर अभिमान की…लेकिन हमारी हिंदी कैसी…कैसे मिलेगा हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा का सम्मान… वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री और एमपी के पूर्व सीएम ने 2015 में किया था राजभाषा विभाग का ऐलान लेकिन आज तक नहीं हो सका शुरू…
एमपी के पूर्व सीएम और वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2015 में किया था राजभाषा विभाग का ऐलान।
World Hindi Day 2024: मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश में राजभाषा विभाग (Department of Official Language) के गठन का सपना आठ साल बाद भी अधूरा है। 10 से 12 सितंबर 2015 को भोपाल में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान (Former CM Shivraj Singh Chouhan) ने विश्व हिंदी सम्मेलन इस विभाग के गठन का ऐलान किया था। तब से अब तक एमपी में तीन मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन फिर भी विभाग का गठन नहीं किया जा सका।
विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference) का मकसद यही था कि सरकारी काम-काज की भाषा हिन्दी ही हो। आमजन भी इसे अपनाएं। हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए कई निर्णय लिए गए। निर्णय के मुताबिक शासन के विभिन्न विभागों के बीच हिंदी में पत्राचार हो रहा है। मंत्रालय के आदेश भी हिंदी में निकाले जा रहे हैं।
केंद्र सरकार से भी पत्र व्यवहार हिंदी में हो रहा है। तब एमपी की राजधानी भोपाल के बाजारों में हिन्दी का प्रभाव नजर आया। प्रमुख बाजारों में प्रतिष्ठानों के बोर्ड हिंदी या देवनागिरी लिपि में नजर आने लगे।
आज एक बार फिर हम विश्व हिंदी दिवस मना रहे हैं। हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर पत्रिका ने राजधानी के कुछ संकेतकों की पड़ताल की तो उनमें राजभवन के पास यह संकेतक भी दिखा। अंग्रेजी शब्द देवनागरी में लिखें तो कम से कम सही तो लिखें… यहां रेल्वे नहीं रेलवे और स्टेण्ड नहीं स्टैंड होना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर का नहीं बन सका हिंदी विश्वविद्यालय
विश्व हिंदी सम्मेलन में केन्द्र से जुड़ी घोषणाएं भी की गई थीं। इनमें विदेश नीति में हिंदी, विदेश में हिंदी शिक्षण समस्याएं और समाधान, विदेशी व्यक्तियों के लिए भारत में हिंदी अध्ययन की सुविधा सहित अन्य केंद्रीय स्तर की घोषणाएं शामिल हैं।
राज्य के इन प्रस्तावों पर अब केन्द्र को निर्णय लेना है। प्रदेश के एक मात्र हिंदी विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की घोषणा भी की गई थी। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से स्थापित इस विश्वविद्यालय को नया भवन तो मिल गया, लेकिन यह अभी भी अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।