क्या है इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस
इस बीमारी का स्पष्ट कारण नहीं पता चल पाता इसलिए इसे इडियोपैथिक कहते हैं। इसमें फेफड़ों के फैलने और सिकुडऩे की क्षमता प्रभावित होती है। फेफड़ों से ऑक्सीजन रक्त तक पहुंचाने वाली मे्ब्रेन (नली) मोटी हो जाती है। जिससे शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है। पहले मरीज कमजोर होता है और अंत में मौत हो जाती है।ये जांच जरूरी
-8 सप्ताह से अधिक समय से सूखी खांसी – अक्सर सांस फूलना और आराम करते समय भी सांस लेने में कठिनाई – गठिया जैसे ऑटो इ्युन रोगों से ग्रसित मरीज ज्यादा खतरे मेंक्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट
आइपीएफ रोग बेहद धीरे-धीरे बढ़ता है। जब बीमारी फैल चुकी होती है तब इसे पूरी तरह ठीक करना संभव नहीं होता। फेफड़े का जितना हिस्सा प्रभावित होता है उसे उतने पर ही सीमित कर बाकी बचे हिस्से को ऑक्सीजन थेरेपी, एक्सरसाइज और दवाओं की मदद से बचाया जा सकता है। रोग के लक्षण दिखने पर मरीज की सीटी स्कैन और पीएफटी जांच से रोग की पहचान होती है। भोपाल में इसके अन्य शहरों की तुलना में ज्यादा केस मिलते हैं। हालांकि, ज्यादातर मामले बहुत देरी से आते हैं। यदि मरीज में समय से पहचान हो तो इस रोग के प्रभाव को सीमित करना संभव है।ये भी पढ़ें: एमपी के इस शहर से था जाकिर हुसैन को प्यार, उनकी सादगी जीता था दर्शकों का दिल