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इसके अलावा तालाब में मिल रहा सीवेज और जंगली पौधे भी पानी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अगर समय रहते इस खेती पर रोक नहीं लगाई तो आने वाले दिनों में पानी और दूषित हो जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि रासायनिक की जगह अगर गोबर खाद या अन्य प्राकृतिक खाद का उपयोग खेती में किया जाए तो स्थिति में सुधार होगा।
बड़े तालाब में जमी गाद की नियमित सफाई न होने के कारण तालाब की संग्रहण क्षमता कम हो रही है। हर साल दिसंबर से जून के बीच बड़े तालाब की स्थिति काफी चिंताजनक हो जाती है। बरसात में तालाब फुलटैंक लेवल पर आता है, तो उस समय कैचमेंट में हो रही खेती से खतरनाक रसायन मिलने से स्थिति खराब हो जाती है।
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खेती में कीटनाशकों के इस्तेमाल को लेकर कई बार कार्रवाई की गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। गौरतलब है कि मंगलवार को बड़े तालाब के पानी की जो रिपोर्ट जारी की गई है, उसमें पोटेशियम, नाइट्राइट और अमोनियम नाइट्राइट की बढ़ी हुई मात्रा आई। यानी कैचमेंट से बहकर आए पानी के साथ बड़े स्तर पर खतरनाक रसायन और सीवेज मिले हैं।
किनारे बनवाए शौचालय, सीवेज तालाब में
अतिक्रमण हटाने के लिए गठित अमले ने बैरागढ़ क्षेत्र में बोरवन तरफ तालाब किनारे जांच की तो उन्हें बड़ी संख्या में झुग्गियां मिलीं। डेढ़ से दो साल में ये झुग्गियां यहां बनाई गईं हैं। लगातार क्षेत्र में अवैध बसाहट बढ़ती जा रही है। जांच दल आगे बढ़ा तो स्थिति और ज्यादा चिंताजनक दिखाई दी। नगर निगम ने बूड़ाखेड़ा की तरफ तालाब किनारे ही शौचालय बनवा दिए हंै। इसका सीवेज सीधे तालाब में मिल रहा है।
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यहां भी हो रही खेती
छोटे तालाब और शाहपुरा लेक के किनारे भी खेती की जा रही है। वहां भी बड़े स्तर पर कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो यहां भी स्थिति चिंताजनक हो जाएगी। छोटे तालाब का एफटीएल 30 मीटर का है।
कैचमेंट में खेती में उपयोग हो रहे रसायन से पानी दूषित हो रहा है। नाइट्राइट बढ़ा है। सीवेज से स्थिति खराब हो रही है।
– तरुण पिथोड़े, कलेक्टर