जरूरत से अधिक पानी लेने के बावजूद शहर में जलसंकट की स्थिति पर पत्रिका की पड़ताल में ये तथ्य सामने आए। नगर निगम की ही अंदरूनी रिपोटर््स इस लॉस की कलई खोल रही है। जानकारों के अनुसार कुल आपूर्ति का दस से पंद्रह फीसदी लॉस तो होता ही है। एेसे में यदि निगम का जलकार्य विभाग ईमानदारी से काम करे और लॉस को ४० फीसदी से पंद्रह फीसदी तक भी सीमित करने की कोशिश करे तो करीब साढ़े पांच करोड़ लीटर पानी बचाया जा सकता है, जो चार लाख लोगों के लिए पर्याप्त होगा।
ऐसे देखें लॉस की स्थिति – कटारा हिल्स पर बाग मुगालिया से अरविंद विहार और आसपास की कॉलोनियों में जलापूर्ति लाइन बदली गई है। यहां स्थिति ये है कि पुरानी लाइन और नई लाइन दोनों में पानी आता है, इससे लॉस बढ़ रहा है।
– जलापूर्ति के लिए बनाए ओवरहेड टैंक में से ५५ रोजाना ओवरफ्लो होते हैं। ये टैंक रात को भरते हैं। इन्हें एक निश्चित सीमा तक भरना चाहिए, लेकिन जिम्मेदार कर्मचारी ध्यान नहीं देते। जब टैंक ओवरफ्लो होकर पानी जमीन पर बहने लगता है तब ये बंद कराते हैं।
– इस समय छोटे बड़े ४० लीकेज वितरण नेटवर्क में है। निगम के पास लगातार शिकायतें पहुंचती हैं, समय पर ध्यान नहीं दिया जाता।
– कटारा के साथ कोहेफिजा, श्यामला हिल्स, अशोका गार्डन, पुलिस क्वार्टर, ईदगाह हिल्स से बैरागढ़ तक करीब ११२ कॉलोनियों में नई और पुरानी दोनों लाइनें चालू हैं। जलकार्य विभाग पुरानी लाइन बंद ही नहीं कर पा रहा।
– फीडर मेन में लगे एयर वॉल्व पुराने व खराब हो चुके हैं, एयर के साथ ये बड़ी मात्रा में पानी बहाते हैं। पूरी लाइन में १०२ एयर वॉल्व है।
नोट- इसी तरह के अन्य कारण भी है।
ये नुकसान जलकार्य विभाग के कुप्रबंधन का सबसे बड़ा नुकसान तो शहरवासियों को ही भुगतना पड़ रहा है। जब बीच रास्ते ही पानी खत्म हो रहा है तो लोगों के घरों तक या तो पानी नहीं पहुंच रहा या फिर बहुम कम दबाव से पहुंच रहा है।
ये हैं कारण
नगर निगम में जलकार्य विभाग में अनुभवी व विशेषज्ञ इंजीनियरों की कमी हो गई है। स्थिति ये हैं कि विभाग के चीफ इंजीनियर तक प्रभारी है। एक कार्यपालन यंत्री एआर पंवार को निगम में प्रभारी चीफ इंजीनियर बनाया हुआ है, जिससे लॉस रोकने कोई बड़ी प्लानिंग नहीं बनाई गई।
अब करोड़ों के इन कामों से बेहतर आपूर्ति के सपने – शहर में सीमावृद्धि से बढ़े हुए क्षेत्रों में जलापूर्ति के लिए २६३.७१ करोड़ रुपए से काम किया जा रहा है। इसमें २३ ओवरहेड टैंक बनाने से लेकर ५१६.७४ किमी की आपूर्ति लाइन बिछाने का काम है।
– कोलार डेम से भोपाल तक कोलार ग्रेविटी मेन व फीडरमेन लाइन बदलने १३६.६९ करोड़ रुपए से काम चल रहा है। दावा है ११.३३ लाख आबादी को इससे लाभ होगा। करीब ५७ किमी की नई समानांतर लाइन बिछाई जा रही है।
– भौंरी क्षेत्र में १७.९७ करोड़ रुपए में दस एमएलडी क्षमता का जलशोधन संयंत्र स्थापित करने के साथ ३२ किमी की सप्लाई लाइन बिछा रहे हैं। एक्सपर्ट कोट्स
पानी का लॉस रोकना बड़ी चुनौती है। करीब ४० फीसदी पानी लॉस में बह रहा है। इसके लिए पुख्ता प्लानिंग की जरूरत है। प्लानिंग के साथ इसे अमल में लाने के लिए इच्छाशक्ति हो। एेसा नहीं होने पर दिक्कत बढ़ेगी ही।
– आरबी राय, एक्सपर्ट पीएचई कुप्रबंधन वाली कोई बात नहीं है। हम लगातार काम कर रहे हैं। अब इतने बड़े क्षेत्र में कुछ समस्याएं तो होती है। लॉस भी कम करने की कोशिश में है। कई प्रोजेक्ट हैं जो पूरे होते हैं तो उसका असर पड़ेगा।
– एआर पंवार, प्रभारी चीफ इंजीनियर जलकार्य