आगरा। चुनाव आयोग ने यूपी में सात चरणों में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है। पहला चरण का मतदान 11 फरवरी, 2017 को होने जा रहा है। ऐसे में प्रत्याशी इस बात को लेकर परेशान हैं, कि चुनाव प्रचार के लिए उन्हें जो समय मिला है, वो बहुत कम है। उन्हें चुनाव प्रचार के लिए 45 दिन भी नहीं मिल पा रहे हैं। प्रत्याशियों का मानना है कि इससे उन्हें बड़ा नुकसान होने वाला है।
मात्र 35 दिन का समय
आगरा, अलीगढ़ मंडल की बात करें, तो यहां प्रथम चरण में ही मतदान होगा। यानि 11 फरवरी, 2016 को मतदान होगा। ऐसे में समय बहुत कम बचा है। दो दिन पहले चुनाव प्रचार थम जाएगा, यानि 9 फरवरी को पहले चुनाव प्रचार थम जाएगा और 4 जनवरी को चुनाव की तिथि घोषित हुई है, ऐसे में प्रत्याशियों के पास सिर्फ 35 दिन का समय बचा है, चुनाव प्रचार के लिए। एक विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए 35 दिन बहुत ही कम हैं। प्रत्याशी सभी प्रकार से अपने क्षेत्र में भ्रमण भी नहीं कर सकते हैं।
यहां की राजनीति में चमकेगा कौन
आगरा की बात करें, तो यह बसपा का गढ़ माना जाता है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगरा में रैली कर हालांकि अपनी पार्टी को मजबूत बनाने का काम दो माह पहले ही कर लिया था, लेकिन सपा आगरा में ऐसा कोई भी बड़ा आयोजन नहीं कर पाई। सीएम अखिलेश यादव ने यहां से तमाम योजनाओं का शिलान्यास करके, चुनावी माहौल बनाने का काम किया गया, लेकिन सपा के दंगल में उसके प्रत्याशी फंस गए। भाजपा ने तो आगरा में कमल खिलाने के लिए पीएम मोदी की विशाल परिवर्तन रैली कोठी मीना बाजार में कराई, इसके बाद केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी आगरा आए, और उन्होंने तमाम योजनाओं का आगराबालों को ख्वाब दिखाकर, भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया।
सिर्फ बसपाई मजबूत
आगरा, अलीगढ़ मंडल की बात करें, तो यहां सिर्फ बसपाई मजबूत नजर आ रहे हैं, क्योंकि यहां पर बसपा सुप्रीमो ने दो माह पहले रैली कर आगरा, अलीगढ़ मंडल में चुनावी माहौल तैयार किया था। वहीं बसपा ने अपने प्रत्याशी भी सबसे पहले घोषित कर दिए, जो अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय हैं। बसपा के जिलाध्यक्ष प्रमोद कुमार ने बताया कि उनका संगठन काफी मजबूत है।
भाजपाई और कांग्रेसी बैचेन
सबसे अधिक बैचेनी भाजपाइयों में है, कारण है कि अभी भाजपा ने प्रत्याशियों की सूची ही जारी नहीं की है। अभी सूची जारी होगी, इसके बाद भाजपा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरेंगे, यानि उनके पास समय 35 दिन से भी कम हो जाएग, यही हाल कांग्रेस का भी है। कांग्रेस द्वारा भी अभी तक प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है।
सपा की कलह कब होगी शांत
वहीं समाजवादी पार्टी की बात करें, तो यहां प्रत्याशी सपा परिवार की कलह के बीच फंसे हुए हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि चुनाव प्रचार करें, या टिकट बचायें। दोनों गुटों के बीच जब तक सुलह नहीं होती है, तब तक सपाइयों की सांसें भी थमीं हुई हैं।
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