सागर निवासी सुधाकर सिंह राजपूत ने राज्यपाल को की गई शिकायत में आरोप लगाया कि डॉ. प्रवीण जैन की नियम विरुद्ध नियुक्ति, विवि में जैन द्वारा की गई वित्तीय अनियमितताओं एवं नियम विरुद्ध नियुक्तियों के संबंध में शिकायत की थी। विभिन्न जांचों में प्रवीण जैन दोषी पाए गए।
जांच में यह भी पाया कि जैन ने मूल रिकार्ड के साथ न केवल छेड़खानी की बल्कि जरूरत के अनुसार उन्हें गायब भी कर दिया। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त तमाम दस्तावेजों से यह स्पष्ट भी हो गया है। राज भवन द्वारा ०९ अप्रैल २०१८ को जैन के विरुद्ध विधिक अभिमत लेकर कार्रवाई किए जाने के पत्र का भी हवाला दिया गया है। इसमें बताया गया है कि राजभवन द्वारा निर्देश दिए जाने के लगभग डेढ़ माह से अधिक समय बीतने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कुलपति ने कहा लोग तो आए पर अभिमत नहीं आया-
विधिक अभिमत के संबंध में पत्रिका ने कुलपति डॉ. रवींद्र आर कन्हेरे से बात की तो उन्होंने कहा कि जिनसे विधिक अभिमत लिया जा रहा है, वे लोग हाल ही में मिलने के लिए विवि आए थे, लेकिन अभी तक अभिमत नहीं दिया है।
इन सवालों ने भी कुलपति की नियत पर उठाए सवाल
– जानकारों के अनुसार राजभवन के निर्देश के बावजूद विधिक अभिमत लेने में १० दिन से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए, जबकि डेढ़ माह का समय निकल गया है।
– डॉ. प्रवीण जैन के विरुद्ध कार्रवाई के लिए विवि द्वार गठित की गई दो सदस्यीय समिति ने अभी तक केवल एक बैठक की है, जिसमें प्रवीण जैन उपस्थित नहीं हुए। दूसरी बैठक की समय-सीमा तय नहीं है।
– डॉ. प्रवीण जैन को १० अगस्त २०१७ को निलंबित किया गया था। लगभग ढाई माह में उनके निलंबन का एक वर्ष पूरा होने जा रहा है। नियमानुसार निलंबित व्यक्ति के विरुद्ध यदि एक वर्ष में जांच पूरी नहीं होती है तो उसका निलंबन स्वत: समाप्त हो जाता है। विवि प्रशासन इसी समय को किसी तरह काट रहा है।