विदिशा कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने अपने जिले के विद्यार्थियों के नाम एक चिट्ठी लिखकर बच्चों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया है। कलेक्टर ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रिय विद्यार्थियों यह परीक्षा इस बात के परीक्षण का समय है कि शिक्षण सत्र के दौरान हमने क्या सीखा। परीक्षा एक माध्यम है, जिसे हम केवल सीखने का जरिया मानते हैं।
जीवन का अंत नहीं है परीक्षा
कलेक्टर ने बच्चों से कहा है कि परीक्षा जीवन का अंत नहीं है, बल्कि यह व्यवस्थित जीवन जीने का एक प्रयास मात्र है। अगर हमने कम नंबर भी प्राप्त किए हैं या कोई पेपर ठीक नहीं होता है, तो उसमें सुधार संभव है। हम दोगुनी ऊर्जा से अपना प्रयास पुन: कर सकते हैं। पालक और शिक्षक भी विद्यार्थियों को घर में और परीक्षा केन्द्र और विद्यालयों में भी सकारात्मक माहौल प्रदान करें तथा परीक्षार्थियों को मानसिक, आत्मिक संबल प्रदान करें। कलेक्टर ने अपने पत्र के अंत में सभी विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना भी की है। कलेक्टर की यह चिट्ठी भी सोशल मीडिया पर काफी शेयर की जा रही है।
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अक्सर सुर्खियों में रहते हैं कौशलेंद्र
विदिशा कलेक्टर अपने कामों से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। पिछले कुछ दिनों पहले अपने दफ्तर में फैसला आन द स्पॉट कर भी सुर्खियों में रहे। उन्होंने हितग्राहियों की समस्याएं सुनी और काम करने में लेटलतीफी करने वाले अफसरों की वेतनवृद्धि भी रोक दी थी।
जब गटर में उतर गए थे कलेक्टर साहब
जून माह में जब शहर में जब उन्होंने देखा कि स्थानीय प्रशासन की ओर से साफ-सफाई में ढिलाई बरती जा रही है, तो उन्होंने खुद ही फावड़ा उठा लिया और गटर में उतर गए। यह नजारा देख प्रशासन को भी आगे आना पड़ा और पूरे शहर में सफाई का अभियान छिड़ गया। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह को सफाई करते देखा तो उन्होंने भी सराहना की थी।
पीएम मोदी ने किया था सम्मानित
मध्यप्रदेश में नीमच कलेक्टर रहते हुए कौशलेंद्र विक्रम सिंह को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में बेहतरीन कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया था। नीमच को अव्वल लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें यह अवार्ड दिया था। उत्तर प्रदेश के हरदोई के रहने वाले कौशलेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा आरआर इंटर कॉलेज में हुई। इंटरमीडिएट के बाद वे इलाहाबाद चले गए और 2010 में वे आइएएस अफसर बन गए। बताया जाता है कि उनके पिता नलकूप चालक रहे हैं।