मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 21 फरवरी को रामराज्य रथ पहुंच रहा है। यह रथ उत्तरप्रदेश के अयोध्या से रवाना होकर कई राज्यों से होते हुए रामेश्वरम पहुंचेगा। इस रथ में बड़ी संख्या में साधु-संत और कारसेवक भी शामिल हो रहे हैं।
यह है यात्रा का मकसद
इस रथ यात्रा का असली मकसद अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए जनजागरण करना है। इस यात्रा का पहला चरण अयोध्या से रामेश्वरम तक रहेगा। महाशिवरात्रि के मौके पर 13 फरवरी को रामराज्य रथ यात्रा शुरू हुई है, जो 41 दिनों के सफर के बाद राम नवमी पर रामेश्वरम में समाप्त होगी।
यह है दूसरा चरण
इसके दूसरे चरण में यह यात्रा रामेश्वरम से शुरू होकर कश्मी होते हुए 2019 की राम नवमी पर अयोध्या के कारसेवक पुरम में समाप्त होगी।
पहले 4 राज्यों में, फिर आम चुनाव में फायदा
राजनीतिक विश्लेषक इस रथ यात्रा को 2019 के लोकसभा चुनाव और उससे पहले होने वाले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तैयारियों से भी जोड़कर देख रहे हैं। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, जबकि अन्य राज्यों में भाजपा की सरकार है। यह हिन्दू बहुल राज्य हैं। इसलिए यात्रा से हिन्दू वोटरों को प्रभावित करेंगे तो चुनाव में राजनीतिक फायदा भाजपा को मिल सकता है।
जगदगुरु ने शुरू की थी यात्रा
यह यात्रा सबसे पहले वर्ष 1999 में जगदगुरु स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने शुरू की थी। और यह यात्रा हर साल राम नवमी के दिन महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक में ही निकाली जाती थी, लेकिन अब इस यात्रा का नाम रामराज्य रथ यात्रा हो गया।
चलाया जाएगा हस्ताक्षर अभियान
पांच उद्देश्यों को ध्यान में रखकर निकाली जा रही इस यात्रा के दौरान 10 लाख लोगों से भी अधिक लोगों से हस्ताक्षर कराए जाएंगे। यह सभी हस्ताक्षर संतों की स्वीकृति से देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को सौंपे जाएंगे। इस हस्ताक्षर में मांग की जाएगी कि श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण कराया जाए और रामायण को स्कूलों के सिलेबल में शामिल किया जाए। इसके साथ ही गुरुवार को साप्ताहिक अवकाश और साल में एक दिन हिन्दू दिवस के रूप में घोषित हो।
कब कहां जाएगा रथ
15 फरवरी वाराणसी
16 फरवरी इलाहाबाद
16 फरवरी चित्रकूट
19 फरवरी भोपाल
20 फरवरी उज्जैन
21 फरवरी इंदौर
25 फरवरी औरंगाबाद
8 मार्च बेंगलुरू
10 मार्च मैसूर
13 मार्च कोझीकोड
21 मार्च रामेश्वरम
22 मार्च कन्याकुमारी