भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी के लिए इस बार दिलचस्प रेस, दिल्ली तक संपर्क की जुगाड़
BJP Sangathan Election: 1980 से ही बुदेलखंड-विंध्य के नेताओं की प्रदेश अध्यक्ष बनने की हसरत अधूरी, अब दिल्ली में बैठे आलाकमान तक संपर्क की जुगाड़ में बीजेपी के सीनियर लीडर्स…
BJP Sangathan Election: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की रेस दिलचस्प होने जा रही है। क्योंकि जिला अध्यक्षों के लिए पहले से खींचतान मची है। ऐसे ही प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए समीकरण बैठाए जा रहे हैं। कई कद्दावर नेताओं के नाम रेस में हैं। इस पद का इतिहास बताता है कि 1980 के बाद से छह बार मालवा क्षेत्र के नेता अध्यक्ष बने। इनमें सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी, विक्रम वर्मा जैसे नेता शामिल हैं।
चार बार ग्वालियर-चंबल के नेताओं को मौका मिला। नरेंद्र सिंह तोमर दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे। ऐसे ही महाकौशल से दो और मध्य क्षेत्र से एक बार शिवराज सिंह प्रदेश अध्यक्ष रहे। हालांकि बुदेलखंड और विंध्य के नेताओं की किस्मत साथ नहीं दे रही है। इसी का नतीजा है कि इस क्षेत्र के नेताओं की प्रदेश अध्यक्ष बनने की हसरत अभी तक अधूरी रही है। इसीलिए जब भी मध्य प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ शुरू होती है, तब विंध्य और बुदेलखंड के नेता दबी जुबान से इस बात को कहते रहते हैं कि आखिर हमारा नंबर कब आएगा। इस बार कौन सी युक्ति से नियुक्ति होगी इसके लिए भोपाल से दिल्ली तक समीकरण बैठाए जा रहे हैं।
अविभाजित एमपी में इन्हें मिला अवसर
1980 के बाद दो बार ऐसा भी हुआ है जब छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष बनने का मौका मिला है। 1990 से 1994 तक रायगढ़ के लक्खीराम अग्रवाल और 1997 से 2000 तक नंदकुमार राय अध्यक्ष रहे। वीडी का रेकॉर्ड मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा लगातार 58 माह से पद पर हैं। इससे पहले 50 माह तक पटवा दूसरे कार्यकाल में 12 जनवरी 1986 से 8 मार्च 1990 तक अध्यक्ष रहे।