शहर में शुक्रवार को देवउठनी एकादशी का पर्व धूमधाम मनाया जाएगा। सनातन परम्परा अनुासर देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार माह क्षीर सागर में विश्राम करते हैं, इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ करते हैं। देव सोए होने के कारण चार माह तक गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन संस्कार, प्राण प्रतिष्ठा आदि बड़े मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। देवउठनी एकादशी पर श्रद्धालु भगवान विष्णु को ढोल मंजीरों और भजन कीर्तन के साथ भगवान को जगाएंगे और विवाह मंत्र के साथ तुलसी और सालिगराम का विवाह कराया जाएगा। घरों के आंगन में गन्ने से मंडप सजाया जाएगा और विवाह मंत्रों के साथ तुलसी विवाह के आयोजन होंगे। इसके बाद रात्रि में रंगारंग आतिशबाजी की जाएगी।
मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत
देवउठनी एकादशी के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। पं.विष्णु राजौरिया के अनुसार देवउठनी को विवाह कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त माना गया है, इसलिए इस दिन भी विवाह कार्य होंगे, हांलाकि इस समय सूर्य तुला राशि में चल रहे हैं, तुला की संक्रांति में विवाह कार्य नहीं होते हैं, लेकिन अबूझ मुहूर्त होने के देवउठनी पर भी शादियां होगी। सूर्य का वृश्चिक राशि में प्रवेश १६ नवम्बर को होगा। इसके बाद विवाह के नियमित मुहूर्त शुरू हो जाएंगे।
एकादशी की पूर्व संध्या पर दीपदान
पुराने शहर के चौबदारपुरा स्थित बांके बिहारी मार्र्कंडेय मंदिर में देवउठनी एकादशी की पूर्व संध्या पर गुरुवार रात्रि में महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से दीपदान किया गया। इस दौरान महिलाओं ने बांके बिहारी को निद्रा से जगाने के लिए दीपदान किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी।
तुलसी विवाह पर आज निकलेगी बारात
टीला जमालपुरा स्थित केला देवी मंदिर पर देवउठनी एकादशी पर तुलसी संग सालिगराम विवाह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस मौके पर साईं बाबा मंदिर पुतलीघर शाहजहानाबाद से शाम 5 बजे बारात निकाली जाएगी, जो शाहजहानाबाद दुर्गा मंदिर मिलिट्री गेट से होते हुए केला देवी मंदिर टीला जमालपुरा पहुंचेगी। केला देवी मंदिर शॉपिंग सेंटर पर तुलसी विवाह का आयोजन होगा । इस मौके पर बारातियों को तुलसी के पौधे वितरित किए जाएंगे। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया जाएगा।