यहां दिखी 25 सदस्यों की टोली
बता दें कि
भोपाल की समरधा रेंज (Samardha Range Bhopal) में 25 सदस्यों के परिवार वाली ये टाइगर टोली (Tiger Group) घूमती हुई नजर आई है। इस टोली में 3 मेल, 5 फीमेल टाइगर और 17 कब (Cubs) शामिल हैं। फिलहाल टाइगर की इस बिग जॉइंट फैमिली ने समरधा के जंगलों में 10 किलोमीटर के जंगल को अपनी टेरिटरी (tiger Territory) घोषित किया है। लेकिन जल्द ही इनके 17 बच्चे बड़े होंगे। इनके वयस्क होने पर इन्हें भी घर चाहिए, जंगल चाहिए।
भोपाल देश का अकेला शहर जहां 10 किमी के दायरे में 25 बाघ
एक रिपोर्ट के मुताबिक
एमपी की राजधानी भोपाल देश का एकमात्र शहर ऐसा शहर है, जहां 10 किमी के दायरे में 25 बाघ नजर आए हैं। हाल में समरधा रेंज में बाघों के देखे जाने के मामले अचानक बढ़ गए हैं, जो बताते हैं कि यहां बाघों का कुनबा बढ़ रहा है। यहां एक-दो नहीं, बल्कि 17 बाघ शावकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। इन सभी बाघ शावकों ने वर्ष 2022 में हुई गणना के बाद जन्म लिया है। ऐसे में अब इनकी उपस्थिति वर्ष 2026 में होने वाली बाघ गणना में दर्ज की जाएगी। बता दें कि वर्ष 2022 की गणना में भोपाल (समरधा रेंज) में 9 बाघों की पुष्टि हुई थी।
नया डाटा होगा तैयार
25 बाघों की मौजूदगी दर्ज होने के बाद वन विभाग अब केवल भोपाल और भोपाल के आसपास घूम रहे बाघों के लिए नए सिरे से डाटा एकत्रित कराने की तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही विभाग सभी बाघ शावकों की कुंडली तैयार कराएगा, ताकि इनके मूवमेंट पर नजर रखी जा सके।
सिर्फ आत्मरक्षा के लिए हमला करता है टाइगर
अधिकारियों का कहना है कि भोपाल देश का एकमात्र शहर है, जहां वर्तमान में 17 शावक मिलाकर 25 बाघों का मूवमेंट है। पिछले 16 सालों में एक भी घटना नहीं हुई जिसमें बाघ और इंसान के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हो। जबकि टाइगर रिजर्व के गांवों के आसपास अक्सर ऐसी स्थिति बनती है।
भोपाल में लगातार बढ़ रही बाघों की आबादी
भोपाल वन मंडल के डीएफओ आलोक पाठक के मुताबिक भोपाल समरधा रेंज में 5 बाघिनों का मूवमेंट है। सभी के साथ शावक हैं। इनमें दो बाघिनों के 4-4 शावक हैं, वहीं तीन बाघिनों के साथ 3-3 शावक हैं। इनकी उम्र 3 माह से लेकर 12 माह तक है। हमें ब्रीडिंग की सूचना भी मिल रही है, ऐसे में आने वाले 6 माह में इलाके में शावकों की संख्या बढ़ सकती है।
जानें क्यों बाघों की पसंद बना भोपाल
जिम्मेदारों के मुताबिक भोपाल देश का ऐसा शहर है, जहां सबसे बेहतर इको सिस्टम है। ये बड़ा कारण है कि यहां बाघ लगातार बढ़ रहे हैं। अब यहां संसाधन बढ़ाना जरूरी है। कलियासोत से केरवा तक बाघों के मूवमेंट व कॉरिडोर को देखते हुए पेट्रोलिंग टीम की संख्या बढ़ानी होगी। साथ ही ट्रैप कैमरों की संख्या 11 से बढ़ाकर 600 करने की जरूरत है। ये प्रस्ताव वाइल्ड लाइफ मुख्यालय को भी भेजा गया है।