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दो तरह का होता है थायराइड
आपको बता दें कि, थायराइड दो प्रकार का होता हैं। पहला थायरोक्सिन हार्मोन हाइपोथायरायडिज्म जिसकी कमी की वजह से बच्चों में बौनापन और वहीं बड़ों में सबकटॅनेअस चरबी बढ़ जाती हैं। दूसरी तरह के थायराइड हायपर थायरोडिज्म में गण्डमाला होने का खतरा बढ़ जाता हैं।
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इसलिए होता है थायराइड
थायरोक्सिन की निष्क्रियता के कारण हाइपोथायरायडिज्म हो सकता हैं। शरीर में आयोडीन की कमी होने से थकान, सुस्ती और शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होना बढ़ जाता है। ये हार्मोन्स के असंतुलित होने के कारण होता हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो ये मायक्झोएडेमा पैदा कर सकता है। इसमें चमढ़ी और ऊतकों में सूजन की संभावना बढ़ जाती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए लोग कई तरह के धतकरम कर लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, इसका इलाज छुपा है आयुर्वेद द्वारा औषधीय गुणों से परिपूर्ण अश्वगंधा में। आइये जानते हैं अश्वगंधा से किस तरह छायराइड का इलाज किया जा सकता हैं।
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अश्वगंधा के फायदे
अश्वगंधा एक प्राकृतिक औषधि है। ये एक शक्तिवर्धक औषधि है। अश्वगंधा थाइरॉइड को नियंत्रित करने में कारगर औषधि है। इसके लिए आप चाहें तो इसकी पत्तियों या जड़ों को उबाल कर पी सकते हैं। इसके लिए आपको करना बस ये है कि 200 से 1100 मिलीग्राम अश्वगंधा चूर्ण लें, इसे चाय में मिलकार इस्तेमाल करें। आप चाहें तो इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें तुलसी के पत्ते भी मिला सकते हैं। हायपोथायरायडिज्म का इलाज भी अश्वगंधा की मदद से किया जा सकता है। इसके लिए आपको महायोगराज गुग्गुलु और अश्वगंधा को एक साथ इस्तेमाल करें। अश्वगंधा के नियमित इस्तेमाल से आप ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं। ये आपकी कार्यक्षमता को तो बढ़ाएगा ही, साथ में आपके शरीर के हार्मोन इंबैलेंस को भी संतुलित करेगा। टेस्टोस्टेरोन और एण्ड्रोजन हार्मोन को बढ़ाने में अश्वगंधा काफी मददगार होता है।