इसलिए पड़ी जरूरत
दुग्ध उत्पादक राज्यों में मप्र आगे है तब भी किसानों को उचित लाभ नहीं मिल रहा। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर उत्पादित दूध बड़ी कंपनियां खरीद रही हैं, जिन्हें अपने मुनाफे से ज्यादा सरोकार है। सरकारी आकलन में पता चला कि सहकारी केंद्रों पर किसान बहुत कम दूध बेच रहे हैं। जो दूध आ रहा है उसकी प्रोसेसिंग क्षमता भी पर्याप्त नहीं है। ऐसे में सीएम डॉ. मोहन यादव ने किसान और उपभोक्ताओं को उचित लाभ दिलाने के लिए नीति तैयार कराई है।
— बोनस पाने के लिए पशु पालक किसान न केवल दूध का अधिक उत्पादन करेंगे, बल्कि निजी कंपनियों को बेचना छोड़ प्रदेश की सहकारी समितियों को बेचने के लिए प्रेरित होंगे।
— सहकारी समितियों में दूध की आवक बढ़ते ही उसका रख-रखाव, समितियों से कोल्ड स्टोरेज और फिर दुग्ध संघों तक पहुंचाने के लिए काम करने वालों की जरूरत पड़ेगी। काम पाने
और काम देने के अवसर खुलेंगे।
— जब यही दूध सहकारी दुग्ध संघों में पहुंचेगा तो यहां भी प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और वितरण से जुड़े काम के अवसर बढ़ेंगे। इससे भी लोगों को रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
— जब दूध की मात्रा बढ़ेगी तो नई सहकारी दुग्ध संकलन समितियां, कोल्ड स्टोरेज के अलावा सहकारी दुग्ध संघों की भी स्थापना की जरूरत पड़ेगी। इस वजह से काम करने वालों
की भी आवश्यकता होगी।