ग्वालियर-चंबल अंचल में बसपा का वोट बैंक है। क्षेत्र में अपनी ताकत को आंकने के लिए पार्टी दो बार सर्वे भी करवा चुकी है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष रमेश पिप्पल का कहना है कि पार्टी प्रदेश की सभी सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी। बसपा की भूमिका मध्यप्रदेश में कांग्रेस की वोट में सेंध लगाने वाली हो सकती है। बसपा ने जिन सीटों पर उम्मीदवारों का एलान किया है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा उन क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर थी। वहीं, अब कांग्रेस के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया भी नहीं हैं ऐसे में बसपा के चुनाव लड़ने से भाजपा को फायदा हो सकता है।
पूर्व विधायक सोनेराम कुशवाह को मुरैना जिले की जौरा सीट (सामान्य) से टिकट दिया गया है। रामप्रकाश राजौरिया को मुरैना (सामान्य) सीट का टिकट दिया गया है। भानुप्रताप सिंह सखवार को मुरैना जिले की अम्बाह (अनुसूचित जाति) सीट से टिकट दिया गया है। योगेश मेघसिंह नरवरिया को भिंड जिले की मेहगांव (सामान्य) सीट का टिकट दिया गया है। जसवंत पटवारी को भिंड जिले की गौहद (अनुसूचित जाति) सीट से टिकट दिया गया है। संतोष गौड़ को ग्वालियर जिले की डबरा (अनुसूचित जाति) सीट पर टिकट दिया गया है। कैलाश कुशवाह को शिवपुरी जिले की पोहरी (सामान्य) सीट से टिकट दिया गया है। राजेद्र जाटव को शिवपुरी की करैरा (अनुसूचित जाति) सीट से मैदान में उतारा है।
मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में पांच सीटें ऐसी हैं जहां बसपा का सीधा प्रभाव है। कहा जाता है कि यहां बड़े पैनामे में बसपा का वोट बैंक है। भांडेर में विधानसभा सीट में भाजपा की संभावित उम्मीदवार रक्षा सिरोनिया हैं। कांग्रेस ने यहां से फूल सिंह बरैया को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि हाल ही कि महेंद्र बौद्ध कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। ऐसे में इस सीट में मामला तीनों पार्टियों के बीच है। मुरैना जिले में बसपा का वर्चश्व है। यहां से भाजपा और कांग्रेस के लिए बसपा चुनौती दे सकती है। अंबाह, गोहद और दिमनी विधानसभा सीट में भी बसपा का अच्छा खासा प्रभाव है। ऐसे में इन सीटों में भी त्रिकोणीय मुकाबले की आसार हैं।