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भोपाल

एक किस्सा ऐसा भीः जब राष्ट्रपति रो रहे थे, उस समय PM सो रहे थे!

mp.patrika.com बताने जा रहा है बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर यह किस्सा, जब देश के राष्ट्रपति भोपाल में जन्मे तत्कालीन राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा थे। उसी समय देश के प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहाराव थे।

भोपालDec 06, 2016 / 11:44 am

Manish Gite

babri masjid

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भोपाल। देश में कभी-कभी ऐसा वक्त भी आता है, जब इतने बड़े ओहदे पर बैठे राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी असहाय हो सकते हैं। ऐसा ही वक्त 6 दिसंबर 1992 को आया था जब अयोध्या में बाबरी ढांचा ढहाया जा रहा था। उसी वक्त दिल्ली में देश के राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा फूट-फूटकर रो रहे थे और प्रधानमंत्री नरसिंहराव अपने बंगले में सो रहे थे। डॉ. शर्मा बाबरी ढांचे का विध्वंस रोकने के लिए हस्तक्षेप करना चाहते थे, लेकिन उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकी।


तत्कालीन राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा और तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव के कार्यकाल में कई घटनाक्रम हुए, जिनमें से बाबरी ढांचे का विध्वंस उनमें से ऐतिहासिक था।

mp.patrika.com बताने जा रहा है बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर यह किस्सा, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। उस समय देश के राष्ट्रपति भोपाल में जन्मे तत्कालीन राष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा थे। उसी समय देश के प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहाराव थे। प्रस्तुत है 6 दिसंबर का वही किस्सा…।


क्या हुआ था उस वक्त
भोपाल में जन्मे डा. शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति पद पर रहते हुए इतने असहाय थे कि वे प्रधानमंत्री नरसिंहराव से भी नहीं मिल पाए। डॉ शर्मा 1992-97 तक देश के राष्ट्रपति रहे।


पुस्तक ने कर दिया राज उजागर
कुछ सालों पहले मार्केट में आई एक पुस्तक में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जब बाबरी मस्जिद ढांचा ढहाने के लिए कार सेवकों ने चढ़ाई कर दी थी, उस समय मदद के लिए समाजसेवियों और मुस्लिम नेताओं ने प्रधानमंत्री कार्यालय में फोन किया तो वहां से कोई राहत नहीं मिल पाई थी। तत्काल यह लोग राहत के लिए राष्ट्रपति डॉ. शर्मा के पास पहुंच गए, लेकिन उनसे मिलने वाले लोग यह देखकर हैरान थे कि उनके सामने देश का राष्ट्रपति फूट-फूटकर रो रहा है। वे सभी लोग बाबरी ढांचे के मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करने आए थे। इस पर डा. शर्मा ने उन्हें एक पत्र दिखाया, जो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को लिखा था।



डा. शर्मा ने पत्र में नरसिम्हा राव से कहा था कि उत्तरप्रदेश की सरकार को बर्खास्त कर सुरक्षा व्यवस्था को केंद्र सरकार अपने हाथों में ले। फिर शर्मा ने आसपास मौजूद लोगों से कहा कि मैं भी प्रधानमंत्री राव तक नहीं पहुंच पाया हूं।


नरसिंह राव कर रहे थे आराम
कहा जाता है कि डा. शर्मा ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार किया था, तभी नरसिम्हा राव को यह पद मिल गया था। उस समय डा. शर्मा अस्वस्थ्य रहते थे। हालांकि 2013 में समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह के एक बयान ने सभी को चौंका दिया था कि राष्ट्रपति को बाबरी ढांचा गिराए जाने की जानकारी पहले ही मिल गई थी। इस बयान पर काफी विवाद भी हुआ था।


देश के 9वें राष्ट्रपति थे डा. शर्मा
19 अगस्त 1918 को जन्मे डा. शंकर दयाल शर्मा देश के 9वें राष्ट्रपति बने थे। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997 तक रहा। राष्ट्रपति बनने से पहले वे भारत के 8वे उपराष्ट्रपति भी थे। डा. शर्मा भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री (1952-1956) रहे और मध्यप्रदेश राज्य में कैबिनेट स्तर के मंत्री के रूप में उन्होंने शिक्षा, विधि, सार्वजनिक निर्माण कार्य, उद्योग तथा वाणिज्य मंत्रालय का कामकाज संभाला। केंद्र सरकार में वे संचार मंत्री (1974-1977) भी बने। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष (1972-1974) भी रहे। 26 दिसंबर 1999 को उनका निधन हो गया था।

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