नहीं आए सीनियर डॉक्टर, मरीज परेशान
मेडिसिन वार्ड में भर्ती गुलाम मोहम्मद ने बताया कि वो पेट के दर्द से परेशान है। परिजन ने यहां भर्ती तो कर दिया लेकिन कोई भी डॉक्टर देखने नहीं आया। दर्द कमन होने और इलाज न मिलने के कारण फातिमा के परिजन उन्हें एक निजी अस्पताल में ले गए।
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अकेले मेडिसिन में ही 66 आठ मरीजों की मौत
हड़ताल के चलते मरीजों के मौत की संख्या भी बढ़ी है। अकेले मेडिसिन डिपार्टमेंट में ही गुरुवार को आठ मरीजों ने दम तोड़ा। अस्पताल प्रबंधन ने एचआइएमएस पोर्टल से मौत वाला कॉलम खाली छोड़ दिया जिससे अन्य विभागों में हुई मौतों की जानकारी ना मिल सके।
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सिर्फ तीन जूनियर डॉक्टर्स का है मामला
मालूम हो कि अधिकारियों ने जीएमसी के तीन जूनियर डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए एनएमसी को पत्र लिखा था। जूडा की मांग है कि सरकार अपना आदेंश वापस ले। इसके लिए पिछले दिनों जूडा ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और विभागीय मंत्री से भी मुलाकात की, लेकिन कोई राहत नहीं मिली।
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अधिकारियों की हठ से बढ़ी मुस्किलें
पूरे मामले में विभागीय अधिकारियों का हठ मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल जूडा लगातार अधिकारियों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अधिकारी उनको समय ही नहीं दे रहे थे और न ही कोई अधिकारी जूडा से इस मामले पर बात करने को राजी था आखिरकार मुशीबतें सिर्फ मरीजों की ही झेलनी पड़ रही है।
वही 22 जूनियर डॉक्टरों को हॉस्टल खाली करने निर्देश दिए गए। जूडा अध्यक्ष डॉ अरविंद मीणा का कहना हैं कि हमारी हड़ताल को इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सागर के जूडा ने समर्थन देते हुए 24 घंटे में पंजीयन निरस्तीकरण का आदेश वापस लेने का अल्टीमेटम दिया था। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।