ये टीचर्स नगरीय, पंचायती निकायों और आदिम जाति कल्याण विभाग के अधीन काम कर रहे हैं वहीं इनके लिए नियम स्कूल शिक्षा विभाग बनाता है। जिसके चलते कई बार इन टीचर्स के सामने विभागीय समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। ऐसे ही कई मुद्दों को आधार बनाकर प्रदेश के लगभग 3 लाख टीचर्स शिक्षा विभाग में मर्जर की मांग कर रहे थे। लगभग एक दशक से ज्यादा समय से 24 से ज्यादा आंदोलन ऐसे ही तमाम मुद्दों को लेकर हो चुके हैं। कई बार बात बनते बनते रह गई लेकिन अब इनके शिक्षा विभाग में मर्जर का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि नए साल में प्रदेश के 2 लाख 84 हजार टीचर्स को बड़ा तोहफा मिल सकता है।
वैसे चुनावों से पहले सरकार भी इस मुद्दे को सुलझाना चाह रही थी, यही वजह है कि प्रदेश के ऐसे टीचर्स के लिए सरकार सम्मेलन बुलाने की भी तैयारी कर रही है। हाल ही में इस विषय पर सीएम हाउस में मीटिंग भी हो चुकी है। जिसमें राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन रमेशचंद्र शर्मा, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष शिव चौबे समेत स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे। इसके बाद सीएम ने अध्यापकों के संगठनों के प्रतिनिधियों को बुलाकर बातचीत की थी। इस दौरान सीएम ने यह भी कहा था कि मैं बार-बार की झंझटों से मुक्ति चाहता हूं, संविलियन भी होगा।
यदि संविलियन होता है तो टीचर्स को मिलेंगे ये फायदे –
सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि अभी तक अलग अलग विभागों के अन्तर्गत कार्य कर रहे इन टीचर्स को एक विभाग के अन्तर्गत नियुक्ति मिल जाएगी साथ ही ये टीचर्स सरकारी कर्मचारी बन जाएंगे। महिला अध्यापकों को शासन द्वारा प्रदत्त तमाम सुविधाएं जैसे कि चाइल्ड केयर लीव, मेटरनिटी लीव आदि मिलने लगेगी। वहीं सभी टीचर्स को बीमा, ग्रेच्यूटी, एचआरए, भत्ते व जीपीएफ सहित कई ऐसी सुविधाएं मिलने लगेंगी जो उन्हें अभी तक नहीं मिलते थे। वहीं अनुकंपा नियुक्ति का सरलीकरण होगा। इसके अलावा छठवें वेतनमान में आने वाली विसंगतियां दूर होने का रास्ता भी मिल जाएगा।