तवा, बारना, बरगी, बानसुजारा, राजीव सागर, गोपीसागर, इंदिरा सागर, केरवा, पारसडोहा, कोलार कलियासोत, पेंच, माही। अशोकसागर के गेट एक बार भी नहीं खोले गए। कुंडलिया और मोहनपुरा बांध के गेट भी 150 से ज्यादा बार खोले गए। ये दोनों बांध नए हैं, इससे इन्हें आधा ही भरा जाता है।
नर्मदा बेसिन के बांध एक महीने तक उफान पर रहे। इनमें बरगी, बारना, तवा, इंदिरासागर, ओंकारेश्वर, मंडलेश्वर और गांधीसागर बांध शामिल हैं। इन बांधों के आसपास गांवों और सहायक नदियों में बाढ़ के हालात बने। हालांकि अभी भी नर्मदा और इनकी सहायक नदियों का जलस्तर सामान्य नहीं हुआ है।
उज्जैन, भोपाल, नर्मदापुरम के बांध सौ फीसदी भरे हैं। इस क्षेत्र में 42 बड़े बांध लबालब हैं। सिवनी की भी स्थिति बेहतर है। यहां 48 बड़े बांधों में से 36 भरे हैं। सागर क्षेत्र में कम बारिश होने के बाद भी 37 बांधों में से 20 लबालब हैं।