बीमारी से पीड़ित बुजुर्ग के चेहरे में दाहिनी तरफ बेहद तेज दर्द होता था। इसके कारण न तो वह दांत साफ कर पाते थे और न ही खाना खा पा रहे थे। इतना ही नहीं चेहरे पर हवा लगने से उन्हें करंट जैसा महसूस होता था। इसके चलते उन्होंने कई पेन किलर खाईं जिसका बुरा असर उनके लिवर पर देखने को मिला। इसके बाद वह एम्स के पेन क्लीनिक पहुंचे। यहां एनेस्थीसिया विभाग के डॉ अनुज जैन ने इस बीमारी का नाम ट्राईजेमिनल न्यूराल्जिया बताया। यह एक अत्यंत पीड़ादायक बीमारी है और इसलिए इसे सुसाइड डिसीज भी कहा जाता है। इसके मरीज इतने दर्द में होते हैं कि आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाते हैं। डॉ. अनुज जैन ने बताया कि उन्होंने मरीज का इलाज परक्यूटेनियस बैलून कम्प्रेशन नाम की तकनीक से किया है। इस तकनीक में मरीज को कोई चीरा या टांका लगाने की जरूरत नहीं होती है। इस तरह के ऑपरेशन में लगभग एक घंटे का समय लगता है।
अब अन्य राज्यों के यूरोलॉजिकल कैंसर के मरीज जटिल ऑपरेशन के लिए भोपाल एम्स आ रहे हैं। केरल राज्य के मरीज शशीधरन मूत्राशय के कैंसर से पीड़ित थे। इसके लिए वह रेडिकल सिस्टेक्टॉमी का जटिल ऑपरेशन कराने भोपाल आए। एम्स में हुए सात घंटे के ऑपरेशन में कैंसर से संक्रमित संपूर्ण मूत्राशय को निकाल कर आंतों के माध्यम से नया मूत्र मार्ग बनाया गया है। अलीगढ़ के नरेंद्र ने भी ऑपरेशन के लिए एम्स को चुना। निदेशक डॉ अजय सिंह की तरफ से युरोलॉजी विभाग में किए जा रहे इस आपरेशन पर प्रसन्नता व्यक्त की। साथ ही आगे और भी अधिक कैंसर मरीजों के लिए सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया गया। इसी सिलसिले में यूरोलॉजी विभाग जल्द ही किडनी प्रोस्टेट टेस्टिस और मूत्राशय के कैंसर की विशेषज्ञ ओपीडी शुरू करने जा रहा है। पिछले एक साल में शहर के एम्स अस्पताल में यूरोलॉजिकल कैंसर से जुड़े कुल 36 ऑपरेशन हुए हैं। इनमें 7 रेडिकल सिस्टेक्टॉमीए 6 रेडिकल प्रोस्टेक्टॉमी और 23 रेडिकल नेफ्रेक्टॉमी शामिल है।