मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले की पुष्ठभूमि साल 2015 की है। साल 2015 में लोकायुक्त ने खंडवा के खाद्य विभाग में काम करने वाले अधिकारीयों के घर और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापामारी में लोकायुक्त ने करोड़ों रुपए जब्त किए थे। लोकायुक्त को यहां करोड़ों की अघोषित संपत्ति भी मिली थी। मामले में एक अधिकारी अश्वनी नायक को अब कोर्ट में पेश भी किया जाना है, जिनसे इन अघोषित संपत्ति की जानकारी मांगी जाएगी। जानकारी न देने पर उनकी संपत्ति को सरकार राजसात करेगी। इस आशय का नोटिस सरकार ने राजपत्र में भी प्रकाशित कर दिया है।
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मध्य प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए और भ्रष्ट अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए सिर्फ कार्यरत ही नहीं, सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारीयों पर भी कार्रवाई करने जा रही है। लोकायुक्त ने पिछले महीने 9 अगस्त को
भोपाल नगर निगम के काम करने वाले सेवानिवृत्त अधीक्षण यंत्री के घर में भी छापा मारा था। तलाशी के दौरान उसके पास 5 करोड़ से अधिक अचल संपत्ति, 86 लाख से ज्यादा के जेवरात के बिल, लाखों के निवेश के दस्तावेज और विदेश यात्रा के दस्तावेज मिले थे।