इस आदिवासी बाहुल्य जिले में सिकल सेल एनीमिया पीड़ित लगातार बढ़ रहे हैं। जिले में सिकल सेल पीड़ित 1970 मरीज हैं, जबकि सिकल सेल संवाहकों की संख्या 11559 है। केवल डिंडौरी जनपद में ही 1151 सिकल सेल पीड़ित मरीज हैं। इतनी बड़ी संख्या में मिले मरीज बीमारी को फैला सकते हैं।
यह भी पढ़ें : एमपी में कांग्रेस दो फाड़, प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ लामबंद हुए बड़े नेता, मांगा इस्तीफा यही कारण है कि 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस पर जिला मुख्यालय पर मेगा राज्यस्तरीय शिविर लगाया जा रहा है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इसका शुभारंभ करेंगे।
डिंडोरी के साथ ही एमपी के धार जिले में भी यह रोग पसर रहा है, जिले की कुल आबादी 30 लाख में से 21 लाख लाेगों की स्क्रीनिंग की जानी है। जिले में अब तक कुल 2,64, 846 लोगों की जांच की जा चुकी है। स्क्रीनिंग में अब तक 813 मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें 8624 लोगों को इस अनुवांशिक बीमारी का वाहक पाया गया है।
सिकल सेल बहुत खौफनाक बीमारी है जिसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है। 15 नवंबर 2021 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्तर सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन के पहले चरण का शुभारंभ किया था। राज्यपाल कार्यालय से इस बीमारी पर निगरानी रखी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1912 में सिकल सेल को घातक अनुवांशिक रोग घोषित कर दिया था।
क्या है सिकल सेल
सिकलसेल में शरीर का खून सूख जाता है। यह लाइलाज रोग है जिसमें पीड़ित को हर दो माह में नया खून चढ़ाना पड़ता है। डॉक्टर बताते हैं यह इतना भीषण रोग है कि इससे पीड़ित मरीज के शरीर में मलेरिया का वायरस भी छटपटाकर दम तोड़ देता है। सिकलसेल से पीड़ित मरीज को भयंकर दर्द होता है। एमपी में आदिवासियों को यह रोग खासतौर पर होता है और इसे आनुवांशिक रोग कहा जाता है। माता-पिता में सिकल सेल के जीन हैं तो बच्चों में भी यह बीमारी पनप सकती है। अब इसकी रोकथाम के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
सिकल सेल के लक्षण
सिकल सेल एक अनुवांशिक बीमारी है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षण निम्न हैं
— मरीज के शरीर में खून की कमी
— हल्का पीलिया
— पेट और छाती में दर्द होना
— सांस लेने में तकलीफ होना
— हड्डियों और जोड़ों में सूजन
— तिल्ली बढ़ जाना
कैसे रोकें
विशेषज्ञों के मुताबिक विवाह के पहले जांच कराने से बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।